बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2 जनवरी, 2024 को एक रहस्यमयी बयान दिया जब उनसे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के इंडिया ब्लॉक में शामिल होने के प्रस्ताव पर प्रतिक्रिया मांगी गई. इस सवाल के जवाब में नीतीश कुमार ने कहा, "क्या बोल रहे हैं?" और इस पर कोई और टिप्पणी करने से बचते हुए पत्रकारों को उलझन में डाल दिया. उनके इस जवाब से राजनीति गरमा गई है. हर एक के दिल में एक ही सवाल है कि आखिर नीतीश कुमार के इस जवाब का मतलब क्या है?
'हमारे दरवाजे खुले हैं'
लालू प्रसाद यादव ने एक स्थानीय समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार में नीतीश कुमार को इंडिया ब्लॉक में शामिल होने का निमंत्रण दिया था. उनका कहना था, "हमारे दरवाजे खुले हैं, नीतीश जी को भी अपने दरवाजे खोलने चाहिए. इससे दोनों तरफ से लोगों का आवागमन सुगम होगा." इस बयान के बाद मीडिया में अटकलें तेज हो गईं कि क्या नीतीश कुमार फिर से राजद के साथ गठबंधन करेंगे, खासकर जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने हाल ही में यह सुझाव दिया था कि नीतीश कुमार को विधानसभा चुनावों में एनडीए का चेहरा बनाया जा सकता है.
लालू प्रसाद का यह बयान राजनीति के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि यह बिहार की राजनीतिक समीकरणों को फिर से उकसाने वाला था. हालांकि, नीतीश कुमार ने इस प्रस्ताव पर कोई सीधी प्रतिक्रिया नहीं दी, बल्कि सिर्फ "क्या बोल रहे हैं" कहकर रहस्य बना दिया.
तेजस्वी यादव ने कहा ना
लालू प्रसाद के बयान के बाद उनके बेटे और बिहार के वर्तमान विपक्षी नेता तेजस्वी यादव ने भी मीडिया से बात की. तेजस्वी ने इस बयान को अधिक महत्व न देते हुए कहा, "लालू जी ने मीडिया की जिज्ञासा को शांत करने के लिए यह बयान दिया." उन्होंने यह भी कहा कि यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं है और सिर्फ मीडिया के सवालों का जवाब दिया गया था.
तेजस्वी यादव ने आगे यह भी स्पष्ट किया कि उनका पहले से ही यह मानना था कि वर्ष 2024 में बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का पतन होगा. उन्होंने मीडिया से कहा कि उनके बयान को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए क्योंकि यह केवल एक सामान्य टिप्पणी थी.
पत्रकारों के सवाल पर क्या बोले नीतीश
जब पत्रकारों ने नीतीश कुमार से लालू प्रसाद के बयान पर स्पष्टीकरण मांगा, तो वे चुप रहे और मुस्कुराते हुए सवालों का जवाब दिया. राज्यपाल के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेने के दौरान, जब उनसे यह सवाल पूछा गया कि क्या बिहार सरकार अपना कार्यकाल पूरा करेगी, तो राज्यपाल अरिफ मोहम्मद खान ने हस्तक्षेप करते हुए कहा, "आज का दिन खुशियों का है, ऐसे सवालों की जगह नहीं है." नीतीश कुमार की इस चुप्पी ने राजनीति में और अटकलों को जन्म दिया. कई लोग इसे नीतीश कुमार की रणनीति मानते हैं, जबकि कुछ इसे उनकी असमर्थता या संकोच का संकेत मानते हैं.
राजीव रंजन सिंह 'ललन' का रुख
इस बीच, जब पत्रकारों ने केंद्रीय मंत्री और पूर्व जदयू अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह 'ललन' से लालू प्रसाद यादव के बयान पर सवाल किया, तो उन्होंने इसका कड़ा जवाब दिया. उन्होंने कहा, "एनडीए मजबूत है. जदयू और भाजपा एकजुट हैं. यह एक स्वतंत्र समाज है, कोई भी जो चाहे कह सकता है. यह लालू जी के बयान पर उनका अपना दृष्टिकोण है."
राजीव रंजन सिंह का यह बयान यह संकेत करता है कि जदयू और भाजपा के बीच रिश्ते मजबूत हैं और बिहार में एनडीए की स्थिति किसी भी प्रकार की अस्थिरता से बची हुई है. ललन ने यह भी स्पष्ट किया कि उनका लालू प्रसाद के साथ व्यक्तिगत रिश्ते मजबूत थे, जब नीतीश कुमार एनडीए से बाहर थे, लेकिन अब उनका रुख पूरी तरह से भाजपा और जदयू के गठबंधन की ओर है.
राजनीतिक भविष्य पर छाए सवाल
नीतीश कुमार के रहस्यमयी उत्तर और लालू प्रसाद यादव के प्रस्ताव ने बिहार की राजनीति में नए सिरे से बहस छेड़ दी है. जहां एक ओर तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद इसे बस मीडिया की जिज्ञासा का जवाब मानते हैं, वहीं दूसरी ओर राजीव रंजन सिंह इसे पूरी तरह से सिरे से खारिज करते हैं.
इस बीच, यह भी सवाल उठ रहा है कि क्या आने वाले विधानसभा चुनावों में जदयू और राजद का गठबंधन फिर से बनेगा या नीतीश कुमार अपनी स्वतंत्र राजनीतिक रणनीति के तहत आगे बढ़ेंगे. सुप्रीम कोर्ट के निर्णय, विधानसभा चुनावों की तैयारियों, और केंद्रीय राजनीति के संदर्भ में बिहार की राजनीति में अभी कई मोड़ आने बाकी हैं.