Lok Sabha Elections 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने उत्तर प्रदेश औक बिहार में चुनाव लड़ने का ऐलान किया है. लोकसभा चुनाव में बिहार के कोसी- सीमांचल क्षेत्र की अधिकतर सीटों पर ओवैसी अपने उम्मीदवार उतारने का मन बना रहे हैं. पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने शनिवार को इसका ऐलान भी कर दिया है.
सीमांचल क्षेत्र में मुस्लिम मतदाताओं का दबदबा है. ऐसे में ओवैसी के इस ऐलान से तेजस्वी यादव की टेंशन बढ़ सकती है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में सीमांचल से एआईएमआईएम के 5 उम्मीदवार जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे. हालांकि बाद में इनमें से 4 विधायक राजद में शामिल हो गए.
विधानसभा चुनाव से ओवैसी को मिला और अब वह सींमींचल की सभी 7 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारने की तैयारी कर रहे हैं. ओवैसी के इस फैसले से राजद समेत स्थानीय राजनीति करने वाले नेताओं की नींद उड़ी हुई है. दिग्गजों को लगने लगा है कि AIMIM उम्मीदवार के आगे किसी दूसरे दल को अल्पसंख्यक वोट नहीं मिलेंगे. खासकर अल्पसंख्यक वोटों की राजनीति करने वाले राजनीतिक दलों के लिए यह अच्छा संकेत नहीं हैं, क्योंकि सीमांचल में 36.86 प्रतिशत मुस्लिम वोट हैं.
बिहार में एआईएमआईएम सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इनमें मधेपुरा सीट में 15 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. दूसरी सीट सुपौल है, जहां 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. तीसरी सीट खगड़िया है, जहां 20 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. पूर्णिया सीट पर 45 फीसदी मुस्लिम वोटर हैं. कटिहार में 45 फीसदी और किशनगंज में 68 फीसदी और अररिया लोकसभा सीट पर 45 फीसदी मुसलमान वोटर हैं. आपको बता दें कि ओवैसी यूपी, बिहार, महाराष्च्र में उन्हीं सीटों पर चुनाव लड़ते हैं, जहां मुस्लिम वोटरों की सख्या अधिक होती है.
बिहार के दोनों क्षेत्रों कोसी और सीमांचल में ओवैसी को पप्पू यादव का साथ मिल रहा है. सीमांचल में पप्पू यादव की जन अधिकार पार्टी की अच्छी पकड़ है और यहां पर ओवैसी को पप्पू यादव का साथ मिल रहा है. पप्पू यादव इस बार पूर्णिया से चुनाव लड़ने का मन बना रहे है. इसके पहले वह पूर्णिया से सांसद रह चुके हैं. पिछले सप्ताह पप्पू यादव ने किशनगंज और पूर्णिया में रैली करके विपक्षी नेताओं की नींद उड़ा दी थी.
बंगाल से सटे बिहार के पूर्वी हिस्से को सीमांचल कहा जाता है. यहां लोकसभा की सात सीटें हैं जो मुस्लिम बहुल हैं. बिहार में 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर जीत मिली थी, लेकिन एक वर्ष के भीतर ही उनके चार विधायकों को तेजस्वी यादव ने तोड़कर राजद (RJD) की सदस्यता दिला दी. ओवैसी के लिए यह बड़ा झटका था. इससे पार्टी लड़खड़ा गई थी ऐसे में फिर से पार्टी को खड़ा करने के लिए ओवैसी यह काम कर रहे हैं.