Land for jobs scam: लालू यादव, तेज प्रताप और बेटी हेमा यादव को कोर्ट ने किया तलब, 11 मार्च को पेश होने का आदेश
मामला 2004 से 2009 के बीच मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप डी के पदों पर की गई नियुक्तियों से जुड़ा है, जब लालू प्रसाद केंद्रीय रेल मंत्री थे. जांचकर्ताओं का आरोप है कि यादव परिवार या उनके सहयोगियों को उपहार में दिए गए या हस्तांतरित किए गए जमीन के टुकड़ों के बदले नौकरियां दी गईं.
रेलवे में नौकरी के बदले जमीन मामले में लालू यादव को दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने झटका दिया है. राउज एवेन्यू कोर्ट लालू यादव, तेज प्रताप यादव समेत अन्य आरोपियों को समन भेजा है. आरोपियों को 11 मार्च को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया गया है.
यह मामला 2004 से 2009 के बीच मध्य प्रदेश के जबलपुर स्थित भारतीय रेलवे के पश्चिम मध्य क्षेत्र में ग्रुप डी के पदों पर की गई नियुक्तियों से जुड़ा है, जब लालू प्रसाद केंद्रीय रेल मंत्री थे. जांचकर्ताओं का आरोप है कि यादव परिवार या उनके सहयोगियों को उपहार में दिए गए या हस्तांतरित किए गए जमीन के टुकड़ों के बदले नौकरियां दी गईं. केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 18 मई, 2022 को लालू प्रसाद, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और कई अज्ञात सरकारी अधिकारियों और निजी व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
क्या है आरोप?
सीबीआई ने पिछले वर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने लालू प्रसाद पर मुकदमा चलाने के लिए आवश्यक मंजूरी प्राप्त कर ली है, तथा लगभग 30 अन्य आरोपी भी इसी प्रकार की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं. जांचकर्ताओं का दावा है कि इन रेलवे नौकरियों के लाभार्थियों ने यादव परिवार से जुड़ी कंपनियों को जमीन हस्तांतरित की जिनमें एके इन्फोसिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड और एबी एक्सपोर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड शामिल हैं.
प्रवर्तन निदेशालय ने कोर्ट में क्या कहा?
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इन्हें फर्जी संस्थाएं बताया है जिनका कथित तौर पर अवैध लाभ को सफेद करने के लिए इस्तेमाल किया गया है. दिल्ली के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में एक पते के साथ एके इन्फोसिस्टम्स को कथित तौर पर तेजस्वी यादव और यादव परिवार के एक सहयोगी सैयद अबू दोजाना द्वारा संचालित किया गया था. ईडी ने आगे आरोप लगाया है कि राबड़ी देवी और हेमा यादव ने नौकरी के आवेदकों से चार जमीन के टुकड़े हासिल किए और बाद में उन्हें 3.5 करोड़ रुपये में बेच दिया जो कि 7.5 लाख रुपये की अधिग्रहण लागत से काफी अधिक है. उन्हें काफी वित्तीय लाभ हुआ.