CM Nitish Kumar Sangat Pangat Program: देश के दो राज्यों में चुनाव चल रहे हैं. अगले कुछ महीनों में और दो राज्यों में चुनाव होने हैं. इसके बाद साल 2025 की शुरुआती महीनों में बिहार में भी विधानसभा के चुनाव होंगे. इससे पहले सभी सियासी दल यहां का रुख करने लगे हैं. हालांकि, प्रदेश में सरकार चला रहे CM नीतीश कुमार के सामने भारतीय जनता पार्टी (BJP) और NDA के साथ वफादारी साबित करना भी एक चुनौती है. ऐसे में JDU ने इसके लिए काम करना शुरू कर दिया है. पार्टी ने इसके लिए खास प्रोग्राम बनाया है. आइये जानें क्या है प्लानिंग?
जेडीयू के सामने सबसे बड़ी चुनौती नीतीश कुमार की बदलती राजनीतिक नीतियों की छवि है. 2014 से अब तक नीतीश कुमार चार बार अपनी स्थिति बदल चुके हैं, जिसे विपक्ष लगातार उनके खिलाफ उठाता रहा है. विधानसभा चुनाव के पहले, यह मुद्दा विपक्ष द्वारा जोर-शोर से उठाया जा रहा है.
विपक्ष की इस आलोचना को कमजोर करने के लिए जेडीयू ने एक नई रणनीति तैयार की है. इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य यह संदेश देना है कि नीतीश कुमार अब अपनी नीतियों में बदलाव नहीं करेंगे. जेडीयू इस नई योजना के तहत जनता को अपनी पार्टी और सरकार के बारे में जागरूक करने की कोशिश करेगी.
जनता दल यूनाइटेड की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में 'संगत-पंगत' नामक एक कार्यक्रम को लागू करने का प्रस्ताव पास किया गया. इस कार्यक्रम के तहत जेडीयू प्रखंड स्तर पर अपने कार्यकर्ताओं और जनता के साथ संवाद करेगी. इस कार्यक्रम में जेडीयू के साथ-साथ एनडीए के अन्य दलों के नेता भी शामिल होंगे. इसके जरिए जेडीयू ये दिखाने की कोशिश करेगी की वो NDA के साथ है.
संगत-पंगत के तहत, एनडीए के नेता प्रमुख स्थानीय मुद्दों पर चर्चा करेंगे और जनता से संवाद स्थापित करेंगे. इसके साथ ही, सभी नेता एक साथ चाय-नाश्ता करेंगे और कार्यक्रम की अध्यक्षता जेडीयू के प्रखंड अध्यक्ष करेंगे. इस पूरे कार्यक्रम की मॉनिटरिंग प्रदेश स्तर पर की जाएगी और नीतीश सरकार की उपलब्धियों को भी जनता तक पहुंचाने की कोशिश की जाएगी.
सूत्रों का कहना है कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य नीतीश कुमार की छवि को सुधारना है. पार्टी का लक्ष्य है कि 2025 के विधानसभा चुनाव तक यह धारणा समाप्त हो कि नीतीश कुमार फिर से अपने रुख में बदलाव कर सकते हैं. जेडीयू यह सुनिश्चित करना चाहती है कि ग्राउंड स्तर पर जनता के बीच यह विश्वास कायम हो कि नीतीश कुमार अब स्थिर राजनीतिक दिशा में हैं.
नीतीश कुमार का राजनीति में कई बार यू-टर्न लेना विपक्ष के लिए एक बड़ा मुद्दा रहा है. 2013 में उन्होंने पहली बार बीजेपी से नाता तोड़ा, 2014 में अकेले लोकसभा चुनाव लड़ा और फिर 2015 में आरजेडी और कांग्रेस के साथ गठबंधन किया. 2017 में आरजेडी से अलग होकर फिर से बीजेपी का दामन थामा, लेकिन 2022 में फिर से आरजेडी के साथ आ गए.