मनु भाकर ने पेरिस ओलंपिक में इतिहास रच दिया. उनकी प्रतिभा को लेकर किसी को कोई डाउट नहीं था, लेकिन जब मेडल नहीं जीत पाती थीं तो उन्हें ट्रोल किया जाता था. निशानेबाजी में व्यक्तिगत गौरव की बात होती है और मनु ने इसे अलग स्तर पर पहुंचाते हुए पहले 10 मीटर एयर पिस्टल में पोडियम स्थान हासिल किया और फिर उतने ही खुशमिजाज निशानेबाज सरबजोत सिंह के साथ मिलकर 10 मीटर मिश्रित टीम स्पर्धा में दूसरा कांस्य पदक जीता. इस तरह वह इस चार साल में होने वाले इस महाकुंभ में दो पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बन गईं.
पेरिस में रिकॉर्ड 21 निशानेबाजों के साथ, भारत ने इस खेल में लगभग एक दशक से चले आ रहे पदक के सूखे को समाप्त करते हुए तीन कांस्य पदक जीते, जिसमें मध्य रेलवे के टीटीई स्वप्निल कुसाले ने 50 मीटर राइफल 3-पोजीशन में तीसरा स्थान प्राप्त कर अभियान का समापन किया.
मनु भाकर ने निकाल दिए सारे कसर
पेरिस ओलंपिक में सभी की निगाहें मनु पर टिकी थीं, क्योंकि तीन साल पहले टोक्यो ओलंपिक में उनकी पिस्तौल की खराबी के कारण उनकी उम्मीदें खत्म हो गई थीं. मनु ने पूरे आत्मविश्वास के साथ पेरिस के बाहरी इलाके में स्थित शैटौरॉक्स रेंज में कदम रखा और एक चैंपियन की तरह प्रदर्शन करते हुए देश का पदक सूखा समाप्त किया. इस सफलता से चैंपियन और उसके कोच जसपाल राणा की भावनाएं उमड़ पड़ीं, जिन्हें यह गौरव हासिल करने के लिए लगभग दो साल तक कठिनाइयों और परेशानियों से गुजरना पड़ा.
भारतीय राष्ट्रीय राइफल संघ की मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के कारण शूटिंग रेंज छोड़ने के लिए कहे जाने से लेकर दर्शक दीर्घा में अपने शिष्य को प्रशिक्षण देने के लिए बाध्य होने तक, जसपाल को तीखे कटाक्ष और अपमान सहना पड़ा, जिसने एक तरह से दोनों को पेरिस में चुनौती का सामना करने के लिए प्रेरित किया.
सरबजोत की मेहनत
सरबजोत ने भी चोटों से जूझने के बाद शानदार सफलता हासिल की, जिसकी वजह से पिछले साल वह छह महीने से ज़्यादा समय तक खेल से दूर रहे. अंबाला के यूवा शूटर के करियर में एक ऐसा दौर भी आया जब वह अपनी पिस्तौल उठाने में भी सक्षम नहीं थे, प्रतियोगिता में 60 बार अभ्यास दोहराना तो दूर की बात है. लेकिन कड़ी मेहनत के दम पर पेरिस ओलंपिक में पदक जीतने में सफल रहे.
पेरिस में कई मेडल हाथ से निकले
मनु, सरबजोत और स्वप्निल ने जहां शीर्ष स्थान हासिल किया, वहीं राइफल निशानेबाज अर्जुन बबूता और शॉटगन निशानेबाज महेश्वरी चौहान और अनंत जीत सिंह नरुका जैसे निशानेबाजों को निराशा हाथ लगी. वे पेरिस में चौथे स्थान पर रहे, लेकिन निशानेबाजी खेल के लिए एक शानदार भविष्य की उम्मीद जगाई. बाबूता पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में कांस्य पदक से चूक गए, जबकि माहेश्वरी और नारुका की मिश्रित स्कीट टीम तनावपूर्ण मुकाबले में चीन से पदक हार गई.
मनु भी ऐतिहासिक हैट्रिक से चूक गईं और शानदार प्रदर्शन के बावजूद महिलाओं की 25 मीटर स्पोर्ट्स पिस्टल स्पर्धा में चौथे स्थान पर रहीं.