नई दिल्ली: भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज और दिल्ली से बीजेपी के सांसद गौतम गंभीर ने 2011 विश्व कप को लेकर तीखी बयानबाजी की है.
उन्होंने कहा कि 2011 में विश्व कप जिताने में युवराज सिंह का जो योगदान रहा, उसके लिए उन्हें उचित क्रेडिट नहीं दिया गया.मीडिया की आलोचना करते हुए गौतम गंभीर ने कहा कि टीम को श्रेय देने के बजाय मीडिया ने सिर्फ एमएस धोनी के उस आखिरी छक्के को बढ़ा-चढ़ाकर दिखाया.
बता दें कि श्रीलंका के खिलाफ 2011 विश्व कप के फाइनल में गंभीर ने कप्तान धोनी के साथ शतकीय साझेदारी करते हुए भारत को जीत की दहलीज तक पहुंचाया था.
जब गंभीर से पूछा गया कि क्या आपको पछतावा होता है कि 2011 विश्व कप के फाइनल मुकाबले में आपको 97 रन पर आउट होने के बजाय शतक बनाना चाहिए था?
इस पर उन्होंने कहा कि यह मायने नहीं रखता कि मुझे शतक बनाना चाहिए था या नहीं. टीम का विश्व कप जीतना मायने रखता है. हम खुद के लिए नहीं खेलते, यह एक टीम का खेल है और किसी व्यक्ति के निजी रिकॉर्ड तभी मायने रखते हैं जब वह टीम के काम आए हों. मेरी यह पारी मेरे लिए काफी मायने रखती थी क्योंकि इसने भारत को फाइनल जिताने में मदद की.
भारत की 2011 विश्व कप की ऐतिहासिक यात्रा की सराहना करते हुए गंभीर ने दावा किया कि अन्य खिलाड़ियों के साथ-साथ खिताब को जिताने में युवराज सिंह, जहीर खान, सुरेश रैना और मुनाफ पटेल का अहम योगदान रहा.
गंभीर ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई चिंता नहीं है कि उनके योगदान को याद किया जाएगा या नहीं, उनके लिए बस ये मायने रखता है भारत 1983 के बाद फिर से विश्व विजेता बना.
बता दें कि 1983 के बाद भारत ने अप्रैल 2011 में श्रीलंका को हराते हुए 28 साल बाद दोबारा विश्व कप का खिताब जीता था.
गौतम गंभीर ने आगे कहा कि खराब स्वास्थ्य के बाद भी युवराज सिंह ने 2011 विश्व कप में जो योगदान दिया क्या उसके लिए उन्हें पूरा क्रेडिट मिला, जहीर खान ने जो ओपनिंग स्पैल किया क्या हम उसका पर्याप्त जश्न मनाते हैं. विश्व कप फाइनल में जहीर खान ने 4 मेडेन ओवर डाले थे लेकिन उन्हें उसका पर्याप्त श्रेय नहीं दिया गया.
युवराज सिंह को भी उनके योगदान के लिए पर्याप्त क्रेडिट नहीं मिला. क्या हम सचिन तेंदुलकर के योगदान का जश्न मनाते हैं? हां, हम सचिन और जीत को याद करते हैं लेकिन कितने लोगों को याद है कि उन्होंने 2 शतकों के साथ विश्व कप में सर्वाधिक रन बनाए थे.
हम केवल विश्व कप के फाइनल मैच में महेंद्र सिंह धोनी की पारी को याद रखते हैं जबकि हमें अन्य खिलाड़ियों के योगदान का भी जश्न मनाना चाहिए. किसी अकेले की पारी भारत को जीत नहीं दिला सकती थी.
यह हम सब का सामूहिक प्रयास था. धोनी के योगदान को याद करते हुए हमें अन्य खिलाड़ियों के योगदान को भी याद रखना चाहिए जिन्होंने विश्व कप को जिताने में अहम भूमिका निभाई थी.
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