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Tata Steel Chess 2025: रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा ने डी. गुकेश को हराकर रचा इतिहास, कही ये बात

भारतीय ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा ने टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए मौजूदा विश्व चैंपियन डी. गुकेश को हराकर खिताब अपने नाम किया.

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विज्क आन जी (नीदरलैंड), 3 फरवरी (भाषा) : भारतीय ग्रैंडमास्टर रमेशबाबू प्रज्ञानानंदा ने टाटा स्टील शतरंज टूर्नामेंट में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए मौजूदा विश्व चैंपियन डी. गुकेश को हराकर खिताब अपने नाम किया. यह उनके करियर का पहला टाटा स्टील खिताब है, जिसे उन्होंने लगभग आठ घंटे तक चले चुनौतीपूर्ण मुकाबले के बाद हासिल किया.

मैच के बाद अपनी जीत पर प्रतिक्रिया देते हुए प्रज्ञानानंदा ने कहा, "यह बहुत लंबा दिन था, पहली बाजी ही करीब साढ़े छह घंटे तक चली और फिर ब्लिट्ज बाजी, यह एक अजीब दिन था." इस जीत को खास बताते हुए उन्होंने कहा, "शतरंज की दुनिया में यह एक प्रतिष्ठित टूर्नामेंट है। मैं बचपन से इस प्रतियोगिता को देखता आया हूं. पिछले साल चीजें मेरे मुताबिक नहीं रहीं, इसलिए इस बार मैं पूरी तरह प्रेरित था."

मजबूत रणनीति और आक्रामक खेल का दिखा प्रभाव

प्रज्ञानानंदा ने अपने खेल की रणनीति के बारे में बताया, "मैं हर बाजी में पूरी ताकत से लड़ने के लिए तैयार था. यही वजह रही कि इस टूर्नामेंट में कई बाजियों के निर्णायक परिणाम देखने को मिले." इस खिताबी दौड़ में उन्होंने छह बाजियां जीतीं, पांच ड्रॉ खेलीं और दो में हार का सामना किया.

भविष्य की योजनाएं: प्राग मास्टर्स में देंगे चुनौती

अपनी अगली प्रतियोगिता के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैं प्राग मास्टर्स में खेलूंगा." उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि पिछले छह महीनों में उनके खेल में कुछ खामियां थीं, जिन्हें सुधारने के लिए उन्होंने विशेष रणनीति अपनाई. उन्होंने कहा, "मैं जानता था कि मुझसे कहां गलतियां हुई हैं और मुझे किन पहलुओं पर काम करना है. मैंने इस टूर्नामेंट के लिए अपनी शैली में कुछ बदलाव किए और यह सफल रहा."

टाईब्रेकर में संघर्षपूर्ण जीत

टाईब्रेकर की शुरुआती दो बाजियों में से प्रज्ञानानंदा ने पहली गंवाई, जबकि दूसरी में शानदार वापसी की. उन्होंने स्वीकार किया कि पहली बाजी ड्रॉ होनी चाहिए थी. दूसरी बाजी में गुकेश अच्छी स्थिति में थे, लेकिन धीरे-धीरे पिछड़ गए. तीसरी और निर्णायक बाजी में प्रज्ञानानंदा ने सफेद मोहरों के साथ रक्षात्मक रुख अपनाया. लेकिन जैसे-जैसे बाजी आगे बढ़ी, उन्होंने कुछ बेहतरीन चालें चलीं. गुकेश ने आक्रामक खेल दिखाने की कोशिश की, लेकिन यह उनके लिए भारी पड़ा और वह संभावित ड्रॉ की बाजी हार गए.

गलतियों से सबक लेकर आगे बढ़ने की प्रतिबद्धता

जर्मनी के विन्सेंट कीमर के खिलाफ हार के बारे में बात करते हुए प्रज्ञानानंदा ने स्वीकार किया कि उन्होंने कुछ "अजीब हरकतें" कीं, जिससे बाजी हाथ से निकल गई. उन्होंने कहा, "मुझे वह स्थिति पसंद थी, लेकिन फिर मैंने कुछ गलतियां कीं. इसी बीच मैंने देखा कि गुकेश हार गया है, लेकिन उस समय मैं कुछ नहीं कर सकता था. मुझे बस इंतजार करना था और अपनी गलती से हुई निराशा को झेलना था."

भारतीय शतरंज में नया सितारा

प्रज्ञानानंदा की यह ऐतिहासिक जीत भारतीय शतरंज के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है. उनकी यह सफलता दर्शाती है कि भारत में शतरंज प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है और युवा खिलाड़ी विश्व स्तर पर अपनी छाप छोड़ने के लिए पूरी तरह तैयार हैं.

(इस खबर को इंडिया डेली लाइव की टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की हुई है)