पेरिस पैरालिंपिक में सुमित अंतिल का गोल्डन थ्रो, भारत को मिला तीसरा गोल्ड

पेरिस पैरालिंपिक में भारत के लिए आज का दिन शानदार रहा. 5वें दिन का दूसरा गोल्ड मेडल मिल चुका है. जैवलिन थ्रो में सुमित अंतिल ने पैरालिंपिक रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता. उन्होंने 70.59 मीटर दूर थ्रो फेंककर पहला स्थान हासिल लिया. इस थ्रो से जैवलिन स्टार सुमित अंतिल ने इस बार पैरालंपिक रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. एफ64 जेवलिन थ्रो कम्पटीशन के फाइनल में सुमित अंतिल का दबदबा देखने को मिला.

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पेरिस पैरालिंपिक में भारत के लिए आज का दिन शानदार रहा. 5वें दिन का दूसरा गोल्ड मेडल मिल चुका है. जैवलिन थ्रो में सुमित अंतिल नेगोल्ड जीता है. उन्होंने पैरालिंपिक में रिकॉर्ड 70.59 मीटर दूर थ्रो के साथ गोल्ड मेडल जीता. इस थ्रो से जैवलिन स्टार सुमित अंतिल ने इस बार पैरालंपिक रिकॉर्ड भी तोड़ दिया. एफ64 जेवलिन थ्रो कम्पटीशन के फाइनल में सुमित अंतिल का दबदबा देखने को मिला.

पैरालिंपिक 2024 में F64 फाइनल में 70.59 मीटर के थ्रो के साथ पैरालिंपिक भाला फेंक रिकॉर्ड को दो बार तोड़ा. सुमित ने टोक्यो पैरालंपिक में भी गोल्ड मेडल जीता था. ऐसे में वह पहले भारतीय जैवलिन थ्रोअर बन गए हैं, जिन्होंने पैरालंपिक में अपना गोल्ड मेडल डिफेंड किया. सुमित अंतिल ने पहले ही प्रयास में पैरालंपिक रिकॉर्ड को ध्वस्त कर दिया. सुमित ने 69.11 मीटर के प्रयास के साथ गोल्ड मेडल पोजीशन हासिल की. इसके बाद दूसरे प्रयास में उन्होंने पैरालंपिक रिकॉर्ड को बेहतर किया. इस बार वह भाला 70.59 मीटर दूर फेंकने में कामयाब रहे. 

एक हादसे ने बदल दी जिंदगी

हरियाणा के सोनीपत के रहने वाले सुमित अंतिल का जन्म 7 जून 1998 को हुआ था. उनके पिता वायु सेना में एक JWO ऑफिसर थे, जिनका 2004 में देहांत हो गया था. पिता का साया सर से उठने के बाद मां निर्मला ने चारों बच्चों का पालन-पोषण किया. बचपन में सुमित की कुश्ती में रुची थी. इसलिए वे एक रेसलर बनना चाहते थे और बचपन से ही इसके लिए मेहनत कर रहे थे. एक दिन उनके साथ ऐसा हादसा हुआ, जिसने उनकी जिंदगी को बदलकर रख दिया. साल 2015 में  ट्यूशन से अपने घर के लौटते समय उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो गया. इस हादसे में सुमित को अपना एक पैर गंवाना पड़ा.