Shoaib Malik and Sania Mirza: शोएब मलिक की तीसरी शादी के बाद सानिया मिर्जा के साथ उनका अलगाव अब जगजाहिर हो चुका है. पारिवारिक सूत्रों सानिया ने उनको एकतरफा तलाक भी दे दिया है. शोएब का क्रिकेट करियर काफी पेचीदा और दिलचस्प रहा है. 1999 में डेब्यू के बाद वो उन कुछ चुनिंदा खिलाड़ियों में से एक थे जिन्होंने वनडे में हर नंबर (1 से 10) पर बल्लेबाजी की है.
शोएब पाकिस्तान टीम के सबसे बेहतरीन फील्डर में से एक थे. पहली बार 1996 में 14 साल के मलिक को अंडर-15 टूर्नामेंट में ऑफ-स्पिनर के रूप में देखा गया था. मलिक को पहला अंतरराष्ट्रीय मौका 1999 में मिला, जब उन्हें श्रीलंका और वेस्ट इंडीज के खिलाफ त्रिकोणीय सीरीज के लिए चुना गया. उन्होंने शानदार प्रदर्शन किया और 9 विकेट लिए. उस समय सकलैन विश्व स्तर के ऑफ-स्पिनर माने जाते थे. मलिक ने उनकी जगह इतना शानदार प्रदर्शन किया कि हर किसी को लगा वो सकलैन का ही दूसरा वर्ज़न हैं.
हालांकि, जब एक स्पिनर के रूप में मलिक का कमाल कम पड़ गया, तो किसी को महसूस हुआ कि वो अच्छे बल्लेबाज भी बन सकते हैं. लेकिन ऐसा कुछ नहीं लगता था कि वो टॉप ऑर्डर के बल्लेबाज बन सकते थे. उन्हें कुछ मौके मिले भी, लेकिन सफल नहीं रहे. वे निचले क्रम पर ही खेलते रहे.
लेकिन 2002 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ सीरीज में वकार यूनिस की कप्तानी में वो चौथे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए और उन्होंने नाबाद 111 रन बनाए. इसके बाद दो मैचों में उन्होंने एक और शतक बनाया. टॉप ऑर्डर में 10 पारियों में उन्होंने 41 की औसत से 369 रन बनाए. पर 2003 वर्ल्ड कप के लिए उनका चयन नहीं हुआ.
वर्ल्ड कप के बाद राशिद लतीफ की कप्तानी में उनकी वापसी हुई और वो छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने लगे. अगले साल तक वो लोअर ऑर्डर में ही रहे, छठे, सातवें और आठवें नंबर पर आते-जाते रहे. इस दौरान वे एक ऑफ-स्पिनिंग ऑलराउंडर के रूप में ऑफ स्पिन बॉलिंग करते थे. उनका बल्लेबाजी प्रदर्शन औसत ही रहा.
2004 में इंजमाम की कप्तानी में उन्हें फिर से नंबर तीन पर बल्लेबाजी करने का मौका मिला और उन्होंने दो शतक जमाकर सबको चौंका दिया. इसके बाद 2 साल तक वह पाकिस्तान के नंबर तीन बल्लेबाज़ रहे और लगातार अच्छा प्रदर्शन करते रहे.
फिर कुछ समय के लिए उन्हें ओपनर के रूप में भी आजमाया गया, लेकिन यह प्रयोग ज्यादा सफल नहीं रहा. इसके बाद वह फिर से छठे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने लगे और 2007 के विश्व कप में भी अच्छा प्रदर्शन किया. इस दौरान उनकी कप्तानी भी शुरू हुई और वह बल्लेबाज़ी में भी खूब चमके.
लेकिन टीम की राजनीति के कारण 2009 में उनकी कप्तानी खत्म हो गई. इसके बाद कुछ सालों तक उन्हें टीम से अंदर-बाहर करते रहे और उनका प्रदर्शन भी गिरा. ये दौर ऐसा था जिसमें पाकिस्तान ने कई कप्तानों को देखा, जिसमें यूनुस, यूसुफ और अफरीदी शामिल थे. टीम की राजनीति चरम पर थी और पाकिस्तान ज्यादातर अस्थिर रहा. शोएब मलिक का हाल भी कुछ ऐसा ही था. टीम की राजनीति ने पाकिस्तान के पूर्व कप्तान और मुख्य वनडे बल्लेबाज को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाया. वह प्लेइंग 11 में जगह पक्की नहीं कर पाए और टीम से अंदर-बाहर होते रहे.
2011 में जब पाकिस्तान कुछ हद तक मिस्बाह के नेतृत्व में स्थिर हुआ, तब भी मलिक टीम का स्थायी हिस्सा नहीं थे. उन्हें कई बार बाहर किया गया और फिर वापस बुलाया गया. 2009 से 2013 के बीच चार सालों में उन्होंने टीम में तीन से आठ तक सभी नंबरों पर बल्लेबाजी की. ऐसी अनिश्चितता किसी का भी हौसला तोड़ सकती है और मलिक कभी अपने पुराने लय में वापस नहीं आए. इस दौरान 39 वनडे पारियों में, मलिक सिर्फ 741 रन ही बना सके, उनका औसत 21.17 था. यह बल्लेबाज के रूप में उनका सबसे खराब दौर था और 2013 में वह टीम से पूरी तरह बाहर हो गए.
लेकिन 2020 में उनकी शानदार वापसी हुई. उन्हें जिम्बाबवे के खिलाफ सीरीज के लिए टीम में शामिल किया गया और उन्होंने अपने पहले ही मैच में शतक जमाया. इसके बाद लगातार शानदार प्रदर्शन करते हुए उन्होंने 11 पारियों में 500 से ज्यादा रन बनाए. इस तरह, शोएब मलिक के करियर में कई उतार-चढ़ाव आए हैं
क्रिकेट की दुनिया में मैच फिक्सिंग के आरोप आज भी भूत की तरह घूमते रहते हैं. शोएब मलिक भी इस कुख्यात विवाद की जद में आ गए हैं. हालांकि वह अपनी बेगुनाही का दावा करते रहते हैं, लेकिन उनके नाम पर दाग बना हुआ है. ये आरोप महत्वपूर्ण मैचों के दौरान कुछ संदिग्ध प्रदर्शनों और अचानक उलटफेर के बाद सामने आए. हालांकि उन्हें सीधे तौर पर मैच फिक्सिंग से जोड़ने के लिए कोई ठोस सबूत पेश नहीं किया गया.
शोएब मलिक ने नवंबर 2015 में लिमिटेड ओवर क्रिकेट पर फोकस करने के लिए टेस्ट से संन्यास ले लिया था. उसके बाद उन्होंने 2019 वर्ल्ड कप के बाद वनडे से भी संन्यास ले लिया. वे फिलहाल टी20 लीग में खेलना चाहते हैं और मौजूदा समय में बांग्लादेश प्रीमियर लीग में खेल भी रहे हैं.