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India Daily

राज लिम्बानी: कच्छ के रण से निकला 'सितारा', अंडर-19 वर्ल्ड कप में बिखेर रहा चमक

राज लिम्बानी का सपना था कि एक दिन देश के लिए खेलें. कच्छ के रण के एक गांव से निकलकर आज वे अंडर-19 वर्ल्ड कप में अपनी स्विंग गेंदबाजी से प्रभावित कर रहे हैं.

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Edited By: Gyanendra Sharma
Raj Limbani

Raj Limbani: बड़े होकर राज लिम्बानी के पास दो विकल्प थे, या तो अपने अन्य भाई-बहनों की तरह पढ़ाई पर ध्यान दें या खेती में अपने पिता की मदद करें. लेकिन राज लिम्बानी का सपना अलग था. उन्होंने क्रिकेट को चुना और अपना सपना पूरा करने के लिए कच्छ के रण के अपने गांव को छोड़ दिया. वे बड़ौदा चले गए. लिम्बानी के पिता किसान हैं उनका गांव पाकिस्तान की सीमा केवल 27 किमी दूर है.

क्रिकेट के लिए घर छोड़ दिया

लिम्बानी के पिता वसंत पटेल बताते हैं कि आमतौर पर हमारे गांव के बच्चे पढ़ाई के लिए अहमदाबाद, सूरत या बड़ौदा जाते हैं. लेकिन राज के मामले में यह अलग था. 2017 में वह क्रिकेट खेलने के लिए बड़ौदा चला गया. मैं एक किसान हूं, इसलिए मैंने उससे कहा कि जाओ और अपने सपने का पीछा करो. लेकिन अगर ऐसा नहीं होगा तो हमारा अरंडी का खेत आपका इंतजार कर रहा है. 

छोटी उम्र से था क्रिकेट के लिए जुनून

वसंत पटेल ने कहा-काफी छोटी उम्र से ही उनमें खेल के प्रति ऐसा जुनून था, जिसे कभी-कभी हम भी समझने में असफल हो जाते थे. लेकिन अब उसे भारत के लिए खेलते हुए देखकर मेरे चेहरे पर मुस्कान आ जाती है. दाएं हाथ के स्विंग गेंदबाज राज टीम के मेन तेज गेंदबाज हैं और अंडर-19 सेमीफाइल में तीन विकेट झटके. शुरुआत में अपनी कसी गेंदबाजी से बल्लेबाजों को मौका नहीं देते हैं जिसका फायदा पीछे के गेंदबाजों को मिलता है. 

बिना किसी बुनियादी ढांचे के बाद भी राज आज देश के लिए खेल रहे हैं. राज ने टेनिस बॉल से गेंदबाजी करना शुरू किया. एक बार जब उन्होंने एक पेशेवर क्रिकेटर बनने का मन बना लिया, तो टेनिस बॉल की जगह भारी कॉर्क गेंदों ने ले ली.

गर्मी-सर्दी में तपकर निकला

वसंत पटेल ने कहा- हम रेगिस्तान में रहते हैं. गर्मी हो या सर्दी मौसम भी बहुत कठोर होता है. मैंने उन्हें गर्मियों में लू और सर्दियों में ठंड से जूझते देखा है. लेकिन इसने उसे कभी नहीं रोका. रेत में खेलना भी आसान नहीं था और कोई भी खेल का सामान खरीदने के लिए आपको नजदीक के शहर में जाना होगा जो 100 किमी दूर है.

यूसुफ और इरफान के क्लब में ली ट्रनिंग

2010 में वसंत के बड़े भाई मणिलाल पटेल का बड़ौदा में ट्रांसफर हुआ. वे गुजरात बिजली बोर्ड में काम करते हैं. सात साल बाद राज उनके साथ रहने बड़ौदा चले गए. प्रसिद्ध मोती बाग क्रिकेट क्लब क्वार्टर से केवल 4 किलोमीटर दूर था. यह क्रिकेट क्लब पहले पठान बंधुओं (यूसुफ और इरफान), फिर पंड्या बंधुओं (क्रुणाल और हार्दिक) और दीपक हुडा को तैयार करने के लिए मशहूर है.

डायरी में अपने अपना ड्रीम लिखते थे राज लिम्बानी 

राज के कोच दिग्विजय सिंह राठवा ने कहा कि मैं उनसे पहली बार अंडर-16 कैंप के दौरान मिला था. जब आप किसी बच्चे से पूछते हैं कि वे क्या बनना चाहते हैं, तो स्वाभाविक उत्तर होगा  भारत के लिए खेलना. लेकिन यह लड़का एक डायरी लेकर आया जिसमें उसने सब कुछ लिखा है. उसने अपने डायरी में लिखा है कि वह पहले अंडर-16 खेलना चाहता हूं. अपने अंडर-19 के पहले. वह एनसीए में शिविर में भाग लेना चाहते हैं. फिर वह अंडर-19 विश्व कप खेलना चाहते थे, उसके बाद बड़ौदा के लिए प्रथम श्रेणी क्रिकेट, फिर भारत ए और आखिरी बात जो उसने लिखी थी वो भारत के लिए सीनियर टीम में खेलान था. आपको कई उभरते क्रिकेटरों में ऐसी स्पष्टता नहीं दिखती.

विश्व कप से पहले राज लिम्बानी भारत के लिए पहली पसंद के तेज गेंदबाज नहीं थे. वह नमन तिवारी, आराध्या शुक्ला और धनुष गौड़ा के बाद चौथे स्थान पर थे. लेकिन एशिया कप में नेपाल के खिलाफ 7/13 के उनके आक्रामक स्पैल ने उन्हें बाकियों से आगे निकल दिया.