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R Ashwin Retirement: पेसर से अश्विन बने दुनिया के बेस्ट स्पिनर, इंजीनियरिंग छोड़ ऐसे बने थे क्रिकेटर, कहानी पढ़ आ जाएंगे आंसू

R Ashwin Retirement: भारत के बेस्ट स्पिनर रहे आर अश्विन ने क्रिकेट की दुनिया को अलविदा कह दिया है. 14 साल के इंटरनेशनल क्रिकेट की दुनिया में उन्होंने बड़े-बड़े मुकाम हासिल किए हैं. आइए जानते हैं कि कैसे इंजीनियरिंग छोड़कर अश्विन ने क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा था.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
R Ashwin Retirement
Courtesy: Social Media

R Ashwin Retirement: भारतीय क्रिकेट के स्टार स्पिनर रविचंद्रन अश्विन ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास लेने का ऐलान किया. इस फैसले ने न केवल भारतीय क्रिकेट को एक महान खिलाड़ी से वंचित किया, बल्कि उनके संघर्ष और सफलता की कहानी भी लोगों के दिलों को छू गई. एक पेसर से दुनिया के सबसे बेहतरीन स्पिनरों में से एक बनने की यात्रा बेहद प्रेरणादायक है.

आइए जानते हैं कि आखिर दुनिया के बेस्ट स्पिनरों में से एक भारत के रविचंद्रन अश्विन ने क्रिकेट की दुनिया में आने का फैसला कैसे किया? उनकी जर्नी बड़ी ही रोचक है. आइए उनकी कहानी पढ़ते हैं. 

R Ashwin इंजीनियरिंग छोड़ ऐसे बने थे क्रिकेटर 

रविचंद्रन अश्विन का जन्म 17 सितंबर 1986 को चेन्नई के मायलापुर में हुआ था. उनका परिवार क्रिकेट से जुड़ा हुआ था, क्योंकि उनके पिता रवींद्रन खुद एक क्लब क्रिकेटर और तेज गेंदबाज थे. अश्विन का बचपन भी बहुत ही शानदार था, खासतौर पर वह पढ़ाई में काफी तेज थे. उन्होंने अपनी स्कूलिंग चेन्नई से की और फिर SSN कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से IT में ग्रेजुएशन किया. हालांकि, अश्विन ने इंजीनियरिंग को अलविदा कह दिया और क्रिकेट को अपने जीवन का जुनून बना लिया.

पेसर से स्पिनर बनने थे अश्विन

अश्विन का क्रिकेट करियर बेहद दिलचस्प रहा है. शुरुआत में वह एक ओपनिंग बैट्समैन थे और साथ ही medium pace गेंदबाज भी थे. लेकिन उनकी क्रिकेट यात्रा में एक अहम मोड़ तब आया जब उन्हें अपने बचपन के कोच सीके विजय ने ऑफ स्पिन गेंदबाजी की सलाह दी. इसके पीछे दो प्रमुख कारण थे. पहला, अश्विन की लंबाई जो 6 फीट 2 इंच थी, जो ऑफ स्पिन के लिए उपयुक्त मानी जाती है. दूसरा, अश्विन को अंडर-16 क्रिकेट के दौरान एक चोट लगी थी, जिसके बाद वह दौड़ने में कठिनाई महसूस करने लगे थे. यही कारण था कि उन्हें स्पिन गेंदबाजी का रुख अपनाने की सलाह दी गई.

R Ashwin ने इंटरनेशनल क्रिकेट में कैसे किया था डेब्यू

अश्विन की यात्रा ने उस समय एक नया मोड़ लिया जब उन्होंने 2006 में हरियाणा के खिलाफ घरेलू क्रिकेट में अपने करियर की शुरुआत की. इस मैच में उन्होंने 6 विकेट लेकर सबको चौंका दिया. इसके बाद, 2010 में उन्होंने जिम्बाब्वे के खिलाफ अपनी वनडे अंतरराष्ट्रीय यात्रा शुरू की और 2 विकेट लिए. लेकिन अश्विन का असली तामझाम तब शुरू हुआ जब उन्होंने 2011 में वेस्टइंडीज के खिलाफ दिल्ली में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया. इस मैच में अश्विन ने कुल 9 विकेट लेकर सबको हैरान कर दिया. उन्होंने पहली पारी में 3 और दूसरी पारी में 6 विकेट लेकर 'प्लेयर ऑफ द मैच' का खिताब भी जीता. यही वह क्षण था जब भारतीय क्रिकेट को एक नया स्टार मिला.

R Ashwin थे 2011 वर्ल्ड कप की विजेता टीम का हिस्सा

अश्विन भारतीय क्रिकेट इतिहास के सबसे अहम दौर में शामिल रहे हैं. 2011 में भारत ने विश्व कप जीतने में सफलता हासिल की, और अश्विन भी उस टीम का हिस्सा थे. इसके बाद, उन्होंने लगातार अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया और टेस्ट क्रिकेट में 537 विकेट लेकर भारत के दूसरे सबसे बड़े विकेट-लेने वाले गेंदबाज के रूप में अपनी पहचान बनाई.

अश्विन के वो रिकॉर्ड जिन्हें याद रखेगी दुनिया 

  1. भारत के लिए सबसे ज्यादा टेस्ट विकेट लेने वाले दूसरे गेंदबाज हैं अश्विन.
  2. भारत के लिए एक पारी में सबसे ज्यादा 5 बार विकेट लेने वाले गेंदबाज हैं अश्विन.
  3. सबसे ज्यादा प्लेयर ऑफ द सीरीज अवॉर्ड जीतने वाले खिलाड़ी है अश्विन.
  4. बतौर स्पिनर बेस्ट बॉलिंग स्ट्राइक रेट – 50.7 (200+ विकेट) रहा है अश्विन का. 
  5. एक ही मैच में शतक और पांच विकेट हॉल लेने वाले खिलाड़ी (4 बार) है अश्विन. 
  6. सबसे तेज 350 टेस्ट विकेट (66) अश्विन ने लिए हैं. 

R Ashwin का संन्यास और क्रिकेट के एक युग का अंत

अश्विन की विदाई ने भारतीय क्रिकेट के एक महत्वपूर्ण युग को समाप्त कर दिया है. उनकी कड़ी मेहनत, संघर्ष और प्रतिबद्धता ने उन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन स्पिनरों में शुमार किया. आज जब वह अपने करियर के इस मुकाम पर पहुंचे हैं, तो उनका सफर युवा खिलाड़ियों के लिए एक प्रेरणा बन गया है.

रविचंद्रन अश्विन का करियर न केवल उनकी क्रिकेट की क्षमताओं का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कभी-कभी सफलता पाने के लिए अपने जुनून और कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है. उनकी यह प्रेरणादायक यात्रा हमेशा भारतीय क्रिकेट के इतिहास में याद रखी जाएगी.