menu-icon
India Daily

Paralympics 2024: बचपन में गंवाया हाथ, टूटी सेना में जाने की उम्मीद, कौन हैं पैरालंपिक्स में देश के लिए सिल्वर जीतने वाले निषाद कुमार?

Paris Paralympics Games 2024: पेरिस पैरालंपिक्स में भारतीय खिलाड़ियों का प्रदर्शन बेहद शानदार रहा है. गोल्ड से आगाज अवनि लेखरा ने किया और तब से ही पैरा एथलीट्स कमाल पर कमाल किए जा रहे हैं. हाई जंप में एक और खिलाड़ी ने देश का मान बढ़ाया है. महज 24 साल की उम्र में पैरा एथलीट निषाद कुमार ने सिल्वर मेडल अपने नाम कर लिया है.

auth-image
Edited By: India Daily Live
Nishad Kumar
Courtesy: x.com/TheKhelIndia

Paralympics 2024: हिमाचल प्रदेश का एक छोटा सा गांव बदायूं. इसी गांव में पैदा हुए निषाद कुमार. बचपन से निषाद कुमार ने सिर्फ एक ख्वाब देखा कि उन्हें भारतीय सेना में शामिल होना है. वे अपने पिता रशपाल सिंह की खेती-किसानी में मदद  बी करना चाहते थे लेकिन एक हादसे ने सब बदल दिया. महज 8 साल की उम्र में उन्होंने अपना हाथ गंवा दिया. उनका हाथ, एक चारा काटने की मशीन में पड़ गया था. उनके सपने टूटकर बिखर गए. अब वे आर्मी में नहीं जा सकते थे लेकिन इस खिलाड़ी ने देश को गौरवान्वित करने के दूसरे मौके तलाश लिए. वे पैरा एथलीट बने और अपनी सफलता को एक के बाद एक कई बार दोहराते गए.

रविवार को उन्होंने कमाल किया है. उन्होंने पेरिस पैरालंपिक्स 2024 में लंबी कूद में सिल्वर मेडल हासिल कर लिया है. टी-74 केटेगरी के इस मुकाबले में उन्होंने 2.4 मीटर ऊंची छलांग लगाई और लगातार दूसरी बार सिल्वर मेडल हासिल किया. टोक्यो पैरालंपिक्स में भी उन्होंने यही मेडल जीता था. अमेरिकी खिलाड़ी टॉउनसेंट ने गोल्ड मेडल हासिल किया.

निषाद के पिता रशपाल ने इंडियन एक्स्प्रेस के साथ बातचीत में एक किस्सा बताया है. उन्होंने कहा कि जब बेटे का हाथ कट गया था तो वह परेशान सिर्फ इस बात से था कहीं इसकी वजह से उसे सेना में भर्ती न किया जाए. भले ही उसे झटका लगा हो लेकिन उसे देश का नाम ऊंचा कर दिया है.

कौन हैं निषाद कुमार?

निषाद कुमार ने साल 2007 में अपना हाथ गंवा दिया था. वे अपने मां की मदद कर रहे थे, तभी उनका हाथ कट गया. उनका हाथ दो टुकड़ों में बंट गया था. उनकी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा एक सरस्वती विद्या मंदिर में हुई है. उन्होंने पड़ोस के गांव कठोर खुर्द में एक कोच मिले, जिनका नाम रमेश है. साल 2009 से ही उनकी कड़ी ट्रेनिंग शुरू हुई. 

सामान्य खिलाड़ियों की तरह हुई ट्रेनिंग

निषाद कुमार का कंपटीशन, उनके कोच, सामान्य बच्चों से कराते थे, जिससे वे बेहतर तरीके से निखरें. उन्होंने सब जूनियर स्तर पर ही सिल्वर मेडल जीत लिया था. साल 2017 में वे पंचकूला गए, वहां नसीम अहमद ने उन्हें ट्रेनिंग दी. यहीं से टोक्यो पैरालंपिक्स की तैयारी शुरू हुई. ये वही कोच हैं, जिन्होंने नीरज चोपड़ा को भी ट्रेनिंग दी है.

फ्लिप के उस्ताद हैं निषाद कुमार

निषाद कुमार फ्लिप करने में माहिर हैं. शारीरिक चुनौतियों के बाद भी वे कमाल का खेलते हैं. उन्होंने साल 2018 में 1.83 मीटर की छलांग लगाई थी, दुबई में हुए पैरा वर्ल्ड चैंपियन शिप में उन्होंने 2.0 मीटर की छलांग लगाई. टोक्यो में उन्होंने 2.06 मीटर की छलांग लगाई नेशनल गेम्स में तो उन्होंने कई रिकॉर्ड तोड़े. 

एशियन से पैरालंपिक्स तक, हर बार किया है कमाल

निषाद कुमार प्रदर्शन एशियन गेम्स से लेकर वर्ल्ड चैंपियनशिप तक शानदार रहा. उन्होने एशियन गेम्स में गोल्ड जीता था.  निषाद कुमार को हिमाचल प्रदेश सरकार ने नकद पुरस्कार तो टोक्यो पैरलंपिक्स में ही दिया था लेकिन उन्हें अब भी एक अदद सरकारी नौकरी की तलाश है.