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India Daily

Paris  Paralympics 2024: पिता ड्राइवर, खुद ने चाय बेची, 6 महीने में कोमा में रहे, अब मेडल जीतकर रचा इतिहास, जानिए कौन हैं कपिल परमार?

Who is Kapil Parmar: कपिल परमार ने पेरिस पैरालंपिक 2024 में ब्लाइंड जूडो में कांस्य पदक जीतकर इतिहास रचा है. वो इस खेल में पैरालंपिक मेडल जीतने वाले पहले भारतीय पैरा एथलीट हैं.

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Edited By: Bhoopendra Rai
Kapil Parmar
Courtesy: Twitter

Who is Kapil Parmar: जिद, जुनून और मेहनत...ये तीन ऐसी चीजें हैं, जिनके दम पर आप कुछ भी कर सकते हैं. हालांकि इसके लिए बहुत कुछ त्यागना पड़ता है. इसके बाद ही सफलता आपके कदम चूमती है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है कि कपिल परमार ने. पेरिस पैरालंपिक 2024 में इस भारतीय पैरा जूडो प्लेयर ने देश को ब्रॉन्ज मेडल दिलाया. कपिल ने  पुरुषों की 60 किग्रा जे1 वर्ग प्रतिस्पर्धा में ब्राजील के एलिल्टन डी ओलीवेरिया को मात दी और देश के लिए ब्रॉन्ज जीतने वाले देश के पहले जूडो प्लेयर बन गए हैं.

कपिल की कहानी उन तमाम लोगों के लिए मोटिवेट करने वाली है, जो थोड़ी सी चोट लगने पर डर जाते हैं. मुश्किल वक्त में डर जाते हैं और हार मान बैठते हैं, लेकिन कपिल इन सबसे से जुदा हैं. उनकी कहानी ये साबित करती है कि अगर आपके अंदर कुछ करने की ललक है तो आप इतिहास रच सकते हैं. आइए कपिल के बारे में जानते हैं....

कौन हैं कपिल परमार?

कपिल परमार मध्य प्रदेश के सीहोर जिले से आते हैं. वो पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं. पिता टैक्सी ड्राइवर हैं. उनकी बहन एक निजी स्कूल में काम करती हैं. मंझले भाई खुद जूडो खिलाड़ी थे, जिन्होंने शुरुआत में कपिल को ट्रेनिंग दी. कपिल का अपने गांव से लेकर पेरिस पैरालंपिक पहुंचना और मेडल जीतना किसी चमत्कार से कम नहीं है. उनके साथ बचपन में कुछ ऐसा हुआ था जिसे सुनकर आप हैरान रह जाएंगे.

कपिल के साथ क्या हुआ था?

दरअसल, कपिल के साथ एक दुर्घटना घटी, जिसने उनकी जिंदगी को बदल दिया. तमाम मुसीबतें आ गई हैं. खेलते वक्त उन्होंने पानी की मोटर को छून लिया था, जिससे उन्हें बिजली का करंट लगा और बेहोश हो गए. बेहोशी की हालत में उन्हें आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया, जहां वो 6 महीने तक कोमा में रहे. यानी उन्हें होश ही नहीं आया. जब होश आया तो उनकी आंखों की रोशनी प्रभावित हुई और उन्हें कम दिखने लगा. इसके बाद उनकी लाइफ और मुश्किल हो गई, लेकिन कपिल ने हार नहीं मानी.

चाय भी बेची

स्कूल के दिनों से ही वह ब्लाइंड जूडो की तरफ आर्किषत हुए. खूब मेहनत की. पढ़ाई के साथ खेल पर फोकस किया. परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के चलते कपिल जूडो की प्रैक्टिस भी करते और चाय बेचकर खुद का गुजारा भी चलाते थे.



कहां से लिया प्रशिक्षण

साल 2017 में वो भोपाल गए और लालघाटी स्थित श्री ब्लिस मिशन फार पैरा एंड ब्राइट संस्था में दाखिला लिया और कोच प्रवीण भटेले के मार्गदर्शन में प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद मप्र खेल विभाग के तात्या टोपे स्टेडियम में कपिल ने जूडो की ट्रेनिंग ली. उन्हें मप्र अकादमी में कोच गीतिका पंत, गोविंद रजत व एन जयप्रकाश ने प्रशिक्षण दिया है.



कपिल 80 प्रतिशत ब्लाइंड हैं, अब तक 13 मेडल जीते

कपिल परमार को साल 2009-10 में करेंट लगा था, जिससे उनकी आंखों की 80 फीसदी रोशनी चली गई थी. ये उनका पहला पैरालंपिक है. वो अब तक 17 इंटरनेशनल प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुके हैं, जिनमें उनके नाम 8 गोल्ड समेत कुल 13 मेडल हैं.

किस कैटेगरी में खेलते हैं कपिल?

जिसे पैरा जूडो में जे1 वर्ग में कपिल खेलते हैं उसमें कम दृष्टि वाले एथलीट खेलते हैं. इस वर्ग में प्रतियोगी लाल रंग के घेरे पहनते हैं, जिससे यह संकेत मिल सके कि प्रतियोगिता से पहले, दौरान और बाद में उन्हें निर्देशित समर्थन की आवश्यकता हो सकती है.