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Paris Paralympics 2024: पैरालंपिक के डेब्यू में ब्रॉन्ज जीतकर रचा इतिहास, कौन हैं नित्या श्री सिवन?

Paris Paralympics 2024: बैडमिंटन पैरा प्लेयर नित्या श्री सिवन ने महज 21 साल की उम्र में कमाल कर दिया है. उन्होंने अपने डेब्यू पैरालंपिक में ही ब्रॉन्ज जीत लिया है. जानिए इस युवा एथलीट के बारे में...

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Edited By: India Daily Live
Nithya Sre Sivan
Courtesy: Twitter

Paris Paralympics 2024: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय एथलीट ने 2 सितंबर को कमाल करते हुए 8 मेडल जीते. इस दमदार प्रदर्शन के चलते मेडल की संख्या 15 हो चुकी है. 2 सितंबर को जिन एथलीट्स ने मेडल जीते उनमें नित्या श्री सिवान भी शामिल हैं, जिन्होंने अपने डेब्यू में ही कमाल किया और महिला एकल बैडमिंटन SH6 वर्ग में भारत के लिए कांस्य पदक जीता. बैडमिंटन में इस बार का ये 5वां मेडल था.

19 साल की नित्या ने इंडोनेशिया की रीना मार्लिना को महज 23 मिनट में 21-14, 21-6 से मात देकर ब्रॉन्ज पर कब्जा किया. इससे पहले वो SH6 सेमीफाइनल में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की लिन शुआंगबाओ से हार गई थीं. उन्हें सेमीफाइनल में 21-13, 21-19 से शिकस्त मिली थी. जिसके बाद उन्होंने कांस्य पदक मैच खेला और मेडल जीत लिया.

कौन हैं भारत की महिला पैरा एथलीट नित्या श्री सिवन?

नित्या श्री सिवन मूल रूप से तमिलनाडु के होसुर से आती हैं. उनका जन्म 1 जुलाई 2005 में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. वो शुरू से ही क्रिकेटर बनना चाहती थीं, उन घर में बचपन से ही खेल कूद का माहौल था. भाई जिला स्तर पर अच्छे क्रिकेटर थे. हालांकि नित्या ने बैडमिंटन में पहचान बनाई और आज देश के लिए डेब्यू में ही ब्रॉन्ज जीतकर कमाल कर दिया.


2016 में नित्या ने 2016 के रियो पैरालंपिक के दौरान लिन डेन को खेलते हुए दिखा, यहां से उन्होंने ठान लिया कि अब वो भी फ्यूचर में बैडमिंटन खेलेंगी. 2020 में नित्या को पैरा-बैडमिंटन का पता चला. उनके पिता भी राज्य स्तर के पैरा-बैडमिंटन प्लेयर थे. जिन्होंने शुरुआत में उन्हें कोचिंग दी. फिर उन्हें तमिलनाडु पैरा-बैडमिंटन राज्य चैंपियनशिप में प्रवेश कराया.

किससे ट्रेनिंग ली?

तमिलनाडु के बाद नित्या भारतीय पैरा बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच गौरव खन्ना के पास ट्रेनिंग के लिए पहुंची, जहां उन्होंने खूब मेहनत की. वो तमिलनाडु से ट्रेनिंग के लिए लखनऊ आ गईं थीं. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा और आज देश को डेब्यू में ही ब्रॉन्ज दिला दिया. बता दें कि द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता गौरव खन्ना खिलाड़ियों को निखारने का काम कर रहे हैं. उनके ट्रेनिंग लेकर कई प्लेयर देश के लिए मेडल जीत चुके हैं.