जन्म से दिव्यांग, फिर भी नहीं मानी हार, कौन हैं IAS सुहास एल यतिराज, जिन्होंने बैक टू बैक सिल्वर जीतकर पैरालंपिक में रचा इतिहास?
Who is Suhas L Yathiraj: सुहास एल यतिराज की कहानी लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत है. जन्म से ही दिव्यांग होने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी. पहले बढ़ाई में अपने आप को साबित करके आईएएस बने फिर खेलों में देश का नाम रौशन किया. पेरिस पैरालंपिक में वो बैक टू बैक सिल्वर जीतने वाले पहले बैडमिंटन खिलाड़ी हैं. जानिए उनके बारे में...
Who is Suhas L Yathiraj: पेरिस पैरालंपिक 2024 में भारतीय एथलीट्स का जलवा दिख रहा है. 2 सितंबर को मेंस सिंगल्स एसएल4 कैटेगरी में सुहास यतिराज ने देश के लिए सिल्वर जीतकर इतिहास रच दिया. वो बैक टू बैक सिल्वर मेडल जीतने वाले भारत के पहले बैडमिंटन खिलाड़ी बन गए हैं. उन्होंने 2020 पैरालंपिक में भी सिल्वर पर कब्जा किया था.
सुहास एल यतिराज को बैडमिंटन मेंस सिंगल्स एसएल4 कैटेगरी के फाइनल में हार मिली. उन्हें फ्रांस के लुकास मजूर ने हरा दिया. वो गोल्ड जीतने की रेस में थे, हालांकि हार के बाद भी उन्हें सिल्वर मिला. फाइनल में सुहास लगातार दो सेट में हार मिली. पहले सेट में 9-21 से हार मिली. फिर दूसरा सेट भी गंवा दिया. इस तरह उनके खाते में सिल्वर आया. आइए जानते हैं कि बचपन से दिव्यांग होने के बाद भी सुहास एल एतिराज ने कैसे पढ़ाई के साथ-साथ बैडमिंटन में अपना नाम कमाया.
कौन हैं सुहास एल यतिराज?
सुहास एल यतिराज कर्नाटक के शिमोगा में जन्मे थे. उनका पूरा नाम सुहास लालिनाकेरे यथिराज है. शुरुआती पढ़ाई गांव में ही पूरी की. फिर वो इंजीनियरिंग के लिए सूरतकल शहर गए. सुहास ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान कर्नाटक (NITK) से कंप्यूटर साइंस में इंजीनियरिंग की है, इसे एनआईटीके सुरथकल के नाम से भी जाना जाता है.
जन्म से ही पैर में दिक्कत?
सुहास एल यतिराज को जन्म से ही पैर में दिक्कत थी. हालांकि उन्होंने कभी इसे खुद पर हावी नहीं होने दिया. वो खेलों में बचपन से ही दिलचस्पी रखते थे. स्कूल के दिनों में वो बढ़िया क्रिकेटर भी थे. साथ ही साथ बैडमिंटन में जलवा दिखा रहे थे. सुहास ने कभी खुद को दिव्यांग नहीं समझा. वो कड़ी मेहनत करते रहे. पहले पढ़ाई में आईएस बनकर सफलता हासिल की और फिर खेलों में भी तिरंगा लहराया.
पिता की मौत के बाद जिंदगी में आया मोड़
सुहास के लिए साल 2005 में कभी ना भूलने वाला साल था. क्योंकि उन पर दुखों का पहाड़ टूटा था. उनके पिता का निधन हुआ था. वो एक सरकारी कर्मचारी थे. इस घटना से सुहास टूट गए थे, लेकिन फिर उन्होंने खुद को संभाला और ठान लिया कि वो सरकारी नौकरी हासिल करेंगे. सिविल सर्विस ज्वाइन करना उनका सपना था. इसके लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू कर दी. परीक्षा पास की और आईएएस अधिकारी बन गए. साल 2007 में उन्हें यूपी कैडर मिला.
कहां-कहां रहे हैं तैनात?
सुहास एल यतिराज सबसे पहले आजमगढ़ में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट बने. ये उनकी प्रोफेशनल लाइफ की पहली जिम्मेदारी थी. फिर बाद में उन्होंने मथुरा, महाराजगंज, हाथरस, सोनभद्र, जौनपुर, प्रयागराज और गौतम बुद्ध नगर में डीएम के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं. इन दिनों वो उत्तर प्रदेश सरकार में युवा कल्याण और प्रांतीय रक्षक दल के सचिव और महानिदेशक के तौर पर सेवा दे रहे हैं.
कौन हैं पत्नी?
अगर सुहास एल यतिराज की पर्सनल लाइफ पर नजर डालें तो उन्होंने 2008 में रितु सुहास से शादी की थी. रितु 2004 बैच की पीसीएस अधिकारी हैं और फिलहाल गाजियाबाद में एडीएम (प्रशासन) के पद पर तैनात हैं. उनकी पत्नी ने प्रशासनिक सेवा के साथ-साथ मॉडलिंग में नाम कमाया है. वो साल 2019 में मिसेज इंडिया का खिताब जीत चुकी हैं.