1 इंजेक्शन ने पैर किए खराब, 20 दिन पहले मां को खोया, गोल्ड मेडलिस्ट हरविंदर सिंह की कहानी रुला देगी

Harvinder Singh: इस वक्त हरविंदर सिंह की चर्चा है. भारत के इस पैरा आर्चर ने देश को गोल्ड मेडल दिलाया है. हरविंदर सिंह का सफर आसान नहीं था, क्योंकि बचपन में ही उनके पैरों ने काम करना बंद कर दिया था. उनकी कहानी बेहद इमोशनल है.

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Bhoopendra Rai

Harvinder Singh: जब उम्र महज 1.5 साल थी, जब उसके पैर खराब हो गए. वजह थी एक लोकल डॉक्टर द्वारा डेंगू को ठीक करने लगाया गया इंजेक्शन. बीमारी तो ठीक नहीं हुई उल्टा पैरों ने काम करना बंद कर दिया, क्योंकि इंजेक्शन का बेहद बुरा साइड इफेक्ट हुआ. बचपन में ही पैरों की गतिशीलता चला जाना किसी के लिए भी यह बड़ा सदमा था. इसके बाद भी तमाम मुश्किलों से वो आगे बढ़ा और आज देश के लिए गोल्ड जीतकर इतिहास रच दिया. हम बात कर रहे गोल्ड मेडलिस्ट हरविंदर सिंह सिंह की, जिनकी कहानी संघर्ष, जुनून और साहस से भरी हुई है. आज पूरा देश उन्हें सलाम कर रहा है.

लगातार दूसरा मेडल

भारतीय पैरा तीरंदाज हरविंदर सिंह ने 4 सितंबर को पेरिस पैरालंपिक में गोल्ड जीता. उन्होंने पुरुष रिकर्व ओपन तीरंदाजी इवेंट के फाइनल में पोलैंड के लुकास सिजेक को मात दी. ये ओलंपिक में उनका लगातार दूसरा मेडल है. इससे पहले हरविंदर ने टोक्यो पैरालंपिक में ब्रॉन्ज हासिल किया था, लेकिन इस बार मेडल का रंग बदल गया है.



पिता ने खेत में बनवाया दिया था तीरंदाजी रेंज

बेटे के सपने को पूरा करने में पिता का अहम रोल रहा. हरविंदर के पिता ने अपने खेत को तीरंदाजी रेंज में बदल दिया. ताकि बेटा आसानी से प्रैक्टिस कर सके. कड़ी मेहनत के बाद साल 2018 में हरविंदर ने जकार्ता में एशियाई पैरा खेलों में पुरुषों के व्यक्तिगत रिकर्व ओपन इवेंट में गोल्ड जीतकर बड़ा कमाल किया था.

20 दिन पहले मां को खोया

हरविंदर की कहानी इसलिए भी भावुक करती है क्योंकि पेरिस में गोल्ड जीतने से ठीक 20 दिन पहले ही उन्होंने अपनी मां को खोया है. वो इस दुनिया को अलविदा कह गई थीं, जिससे हरविंदर टूट गए थे. मेडल जीतने के बाद मां को याद करते हुए वे भावुक भी हो गए.

यह सब मां के आशीर्वाद से ही हो पाया है

हरविंदर सिंह ने कहा 'मैंने इवेंट से ठीक 20 दिन पहले अपनी मां को खो दिया था. इसलिए मैं मानसिक रूप से बहुत दबाव महसूस कर रहा था. मैंने अपने जीवन में बहुत कुछ खोया है, यहां तक ​​कि अपनी मां को भी, इसलिए मुझे वहां से मेडल लेना था और सौभाग्य से मैं जीत गया. यह सब मेरी कड़ी मेहनत और मेरी मां के आशीर्वाद के कारण है.