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'ओलंपिक के धोनी' हैं स्वप्निल कुसाले! खुद ही बताया MSD से क्या है खास कनेक्शन

Paris Olympics 2024: भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने पेरिस ओलंपिक में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन के फाइनल में कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया है. यह भारत के लिए इस स्पर्धा में पहला ओलंपिक पदक है और निशानेबाजी में तीसरा पदक है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है.

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Edited By: India Daily Live
Swapnil Kushale
Courtesy: Twitter/SAI Media

Paris Olympics 2024: भारतीय निशानेबाज स्वप्निल कुसाले ने पेरिस ओलंपिक में 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन के फाइनल में कांस्य पदक जीतकर देश को गौरवान्वित किया है. कुसाले ने 451.4 का कुल स्कोर करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया. यह पहली बार है जब भारत ने इस स्पर्धा में ओलंपिक पदक जीता है और साथ ही भारत के लिए यह तीसरा ओलंपिक मेडल है, और तीनों ही मेडल निशानेबाजी में आए हैं.

धोनी से मिली प्रेरणा

स्वप्निल कुसाले ने बताया कि वह पूर्व भारतीय क्रिकेट कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को अपना आदर्श मानते हैं. कुसाले ने बताया कि धोनी की तरह ही वह भी किसी भी परिस्थिति में खुद को शांत रखने की कला जानते हैं.

उन्होंने कहा, "मैं निशानेबाजी में किसी खास खिलाड़ी से मार्गदर्शन नहीं लेता, लेकिन अन्य खेलों में धोनी मेरे पसंदीदा हैं. मेरे खेल में भी शांतचित रहने की जरूरत है और वह भी मैदान पर हमेशा शांत रहते थे. वह भी कभी टीसी थे और मैं भी हूं."

ओलंपिक डेब्यू के लिए किया 12 साल का इंतजार

महाराष्ट्र के कोल्हापुर के रहने वाले 29 वर्षीय स्वप्निल कुसाले 2012 से अंतरराष्ट्रीय स्पर्धाओं में खेल रहे हैं लेकिन ओलंपिक पदार्पण के लिए उन्हें 12 साल इंतजार करना पड़ा. इस दौरान उन्होंने खुद को शांत रखने के लिए धोनी की कहानी पर बनी फिल्म कई बार देखी.

मनु भाकर से मिला आत्मविश्वास

स्वप्निल 2015 से मध्य रेलवे में काम करते हैं. उनके पिता और भाई जिला स्कूल में शिक्षक हैं और मां गांव की सरपंच हैं.

उन्होंने अपने प्रदर्शन पर कहा, "अभी तक अनुभव बहुत अच्छा रहा है. मुझे निशानेबाजी पसंद है और मुझे खुशी है कि इतने लंबे समय से कर पा रहा हूं. मनु भाकर को देखकर आत्मविश्वास आया है. वह जीत सकती है तो हम भी जीत सकते हैं."

50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन

इस स्पर्धा में शूटर्स को तीन पोजिशन में निशाना लगाना होता है. इनमें नीलिंग यानी झुककर/बैठकर, लेट कर और खड़े होकर निशाना लगाना होता है. कुसाले ने क्वालिफिकेशन राउंड में 590 के स्कोर के साथ सातवें स्थान पर रहते हुए फाइनल में प्रवेश किया था.

स्वप्निल कुसाले की यह उपलब्धि भारतीय खेल जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने न केवल देश का नाम रोशन किया है बल्कि युवाओं के लिए भी एक प्रेरणा का स्रोत बन गए हैं. उनकी कहानी हमें बताती है कि लगन, मेहनत और धैर्य से कोई भी लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है.