Ayodhya Ke Ram: देश के करोड़ों लोगों को सालों से जिस घड़ी का इंतजार था, अब वह आ गई है. 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा होनी है, जिसमें अब महज 10 दिन बचे हैं. रामलला भारत समेत दुनिया भर में पूजे जाते हैं, राम का जन्म भले ही अयोध्या में हुआ हो, लेकिन वो मध्य प्रदेश के ओरछा में बैठकर अपनी सत्ता चलाते हैं. यहां पूरे साल लोग रामभक्ति में डूबे दिखते हैं. राम अयोध्या में रामलला हैं, लेकिन यहां एक राजा के रूप में विराजमान हैं, जिन्हें चारों पहर शस्त्र सलामी भी दी जाती है. चलिए आपको बुंदलेखंड की अयोध्या ले चलते हैं...जहां सिर्फ प्रभु राम ही VVIP हैं....
ओरछा को मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड की 'अयोध्या' कहा जाता है, जिस तरह अयोध्या के कण-कण में राम हैं. ठीक वैसे ही ओरछा में भी राजाराम विराजमान हैं. मान्यता है कि ओरछा की रानी महारानी कुंवरि गणेश, भगवान राम को बाल रूप में अयोध्या से लाई थीं, तब से वह यहां राजा के रूप में विराजे हैं. इसलिए उन्हें रोज लगने वाला भोग का प्रसाद राजसी वैभव का प्रतीक इत्र और पान होता है. चारों पहर की आरती में उन्हें सशस्त्र सलामी गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है, खास बात ये है कि ओरछा नगर के परिसर में यह गार्ड ऑफ ऑनर रामराजा के अलावा देश के किसी भी वीवीआईपी को नहीं दिया जाता, चाहे वह कोई भी हो.
मान्यता है कि भगवान श्रीराम की सरकार के दो खास निवास अयोध्या और ओरछा हैं. ओरछा में वह राजा के रूप में विराजित हैं, यह एक ऐसा शहर है, जहां भक्त और भगवान के बीच राजा और प्रजा का संबंध है. यह विश्व कप पहला ऐसा मंदिर है, जहां श्रीराम सरकार को चारों पहर सशस्त्र सलामी दी जाती है. कहा तो यहां तक जाता है कि भक्त राम की प्रतिमा की आंख से आंख नहीं मिलाते बल्कि उनके चरणों के ही दर्शन करते हैं.
किवदंती है कि ओरछा की महारानी कुंवर गणेश भगवान राम को अयोध्या से पैदल ओरछा लाई थीं. ओरछा में भगवान राम दिन में रहते हैं और रात होते ही अयोध्या चले जाते हैं. सुबह फिर वापस ओरछा आ जाते हैं. इसीलिए ओरछा में दिन में काफी मोहक और सुंदर लगता है, लेकिन रात में काफी बुरा और वीरान, मानो कि ओरछा नगरी उजड़ गई हो.
बात 16वीं शताब्दी की है..जब ओरछा के तत्कालीन बुंदेला राजा मधुकर शाह थे, जो भगवान कृष्ण के उपासक थे. उनकी रानी गणेश कुंवर भगवान राम को खूब मानती थीं. किसी बात को लेकर दोनों के बीच जब ठन गई तो राजा ने व्यंग्य किया कि अगर तुम्हारे राम सच में हैं तो उन्हें अयोध्या से ओरछा लाकर दिखाओ. इसके बाद महारानी अपने मन में उम्मीद का दीप जलाकर अयोध्या के लिए रवाना हो गईं थीं.
अयोध्या जाकर रानी ने 21 दिन तक तप किया. इसके बाद भी उनके आराध्य प्रभु श्री राम प्रकट नहीं हुए तो उन्होंने सरयू नदी में छलांग लगा दी. किवदंती है कि रानी की भक्ति देखकर श्रीराम बाल स्वरूप में नदी के जल में ही उनकी गोद में आ गए. तब महारानी ने प्रभु श्रीराम से अयोध्या से ओरछा चलने का आग्रह किया तो उन्होंने 3 शर्त रख दीं.
Ram Rajya in Orchha !!
— PINAK SHUKLA🇮🇳 (@PINAK_SHUKLA) August 5, 2020
Ram Raja Temple, Orchha is the only temple in India where Lord Shri Ram is worshipped as a king.
A guard of honour is held here everyday.#JaiShriRam #RamMandir #Video #RamMandirNationalPride
Video by Hindu Temple info pic.twitter.com/rwQz5yKDal
किवदंती के अनुसार, कड़ी उपासना के बाद राजाराम अयोध्या से रानी के साथ 3 शर्तों पर ओरछा आये थे, जिसमें उनकी पहली शर्त थी कि पुश्य नक्षत्र में पैदल चलकर ही जाऊंगा. दूसरी शर्त थी कि ओरछा तभी जाऊंगा जब वहां का राजा कहलाऊंगा और तुम्हें राजधानी बदलनी पड़ेगी. तीसरी शर्त थी कि जहां एक बार बैठ जाऊंगा फिर वहां से नहीं उठूंगा. इसके बाद वे पैदल साधु संतों के साथ वे ओरछा पहुंची और रसोईं में चैत्र रामनवमी के दिन विराजमान कर दिया. अब उसी जगह पर रामराजा सरकार का भव्य मंदिर है, लेकिन आज भी राजाराम रसोई में विराजे हुए हैं.