AFG VS NEZ: अफगानिस्तान और न्यूजीलैंड की टीम एकमात्र टेस्ट मैच के लिए भारत आई हुई हैं. 9 सितंबर से दोनों के बीच टेस्ट मैच की शुरुआत होनी थी. लेकिन यह टेस्ट मैच अभी तक शुरू नहीं हो पाया. कारण है पिच की खस्ता हालात. 9 और 10 सितंबर को पिच गिली होने की वजह से मुकाबला नहीं शुरू हो सका. जबकि, 11 सितंबर को बादलों ने मैच शुरू नहीं होने दिया. ये मैच ग्रेटर नोएडा कॉम्प्लैक्स स्टेडियम में खेला जाना था. आज तीसरा दिन है लेकिन टेस्ट मैच शुरू नहीं हो सका.
अब ऐसे में सवाल ये उठ रहा है कि ग्रटेर नोएडा स्टेडियम में पिच की खस्ता हालत का जिम्मेदार बीसीसीआई या फिर अफगानिस्तान?
ग्रेटर नोएडा स्टेडियम के ग्राउंड स्टॉफ के पास पिच को सुखाने के लिए किसी भी कोई सुविधा नहीं है. पिच को सुखाने के लिए ग्राउंड स्टॉफ ने अजीब-अजीब नुस्खे अपनाए. इलेक्ट्रिक फैन की मदद से पिच सुखाने का काम चल रहा था. गीले मैदान को खोदकर उस पर ऊपर से सूखी मिट्टी डाली गई. रेडीमेड घास लगाई गई. इन सब के बावजूद ग्राउंड स्टॉफ पिच को खेलने लायक नहीं बना पाया.
9 सितंबर और 10 सितंबर को बारिश नहीं हुई इसके बावजूद मैच नहीं सका क्योंकि पिच गीली थी. 11 सितंबर को बारिश हो गई. अब लग भी नहीं रहा है कि ये मुकाबला हो पाएगा. ऐसा लग रहा है कि अब दोनों टीम के बीच इकलौता टेस्ट मैच रद्द हो जाएगा.
बीसीसीआई ने अफगानिस्तान को न्यूजीलैंड से इकलौते टेस्ट मैच के लिए ग्रेटर नोएडा स्टेडियम समेत कानपुर और बेंगलुरु स्टेडियम की पेशकेश की थी. लेकिन अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने ग्रेटर नोएडा स्टेडियम को प्राथमिकता दी. शायद राजधानी दिल्ली से नजदीक होने की वजह से अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने ग्रेटर नोएडा का चुनाव किया था. ऐसे में मैच अभी तक न शुरू हो पाने का जिम्मेदार बीसीसीआई नहीं है.
इतना ही नहीं स्टेडियम का चुनाव करने के बाद अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने स्टेडियम का जायजा भी नहीं लिया. कम से कम उसे अपनी एक टीम भेजनी चाहिए थी और ये पता करना था कि क्या इस पिच पर मुकालबा हो सकता है या नहीं.
वहीं, इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट की मानें तो अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने बीसीसीआई से लखनऊ या फिर देहरादूर में स्थिति स्टेडियम की मांग की थी. लेकिन बीसीसीआई ने इस अनुरोध को इसलिए खारिज कर दिया क्योंकि इन स्टेडियम में दोनों राज्यों के टी20 मुकाबले चल रहे थे. इसलिए अफगानिस्तान के पास ग्रेटर नोएडा का चुनाव करने का ही विकल्प बचा. हालांकि, अफगानिस्तान बोर्ड चाहता तो कानपुर या फिर बेंगलुरु स्टेडियम का चुनाव कर सकता था.
सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स बीसीसीआई तो कुछ अफगानिस्तान क्रिकेट बोर्ड को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. कुछ यूजर्स का कहना है कि बीसीसीआई को पता था कि ऐसी स्थिति हो सकती है तो उसे इसकी व्यवस्था भी कर देनी चाहिए थी. जब स्टेडियम दिया था तो उसका रखरखाव कर देने से छोटे नहीं हो जाते. वहीं, कुछ यूजर्स ये कहा रहे हैं कि जब अफगानिस्तान को कानपुर और बेंगलुरु का विकल्प मिला था तो उन्होंने ग्रेटर नोएडा का ही चुनाव क्यों किया.