'डैड ने बताया मियांदाद की तरह खेलता हूं'...जानिए क्रिकेट के किन लीजेंड्स को फॉलो करते हैं सरफराज खान
IND vs ENG Test Series: लंबे समय से भारतीय टेस्ट टीम में खेलने की कोशिश कर रहे सरफराज की मेहनत आखिरकार रंग ला सकती है. उनको इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा सीरीज में चुना गया है. उनके पिता उनके हीरो हैं जिनका कहना है बेटा जावेद मियांदाद की तरह खेलता है.
India vs England 2nd Test: 2022 में, सरफराज खान का नाम डॉन ब्रैडमैन के साथ लिया जाने लगा था. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने रणजी ट्रॉफी के लगातार दो सीजन में 900 से ज़्यादा रन बना डाले थे. उनका औसत 82.83 तक पहुंच गया, जो ब्रैडमैन के बाद सबसे ज्यादा है. उन्हें टीम इंडिया में शामिल होने के लिए दो साल और इंतजार करना पड़ा, लेकिन अब वह इंग्लैंड के खिलाफ दूसरे टेस्ट में डेब्यू करने की उम्मीद कर रहे हैं.
सरफराज ने की कड़ी मेहनत
सरफराज ने कड़ी मेहनत की है. उनका करियर आसान नहीं रहा. फिटनेस की आलोचना से लेकर शतक लगाने तक, ब्रैडमैन से तुलना किए जाने से लेकर चयनकर्ताओं द्वारा अनदेखा किए जाने तक, उन्होंने बहुत कुछ देखा है. लेकिन हर बार उन्होंने सीखने की कोशिश की. उन्होंने विराट कोहली, एबी डिविलियर्स, विवियन रिचर्ड्स और जावेद मियांदाद जैसे दिग्गजों को देखा और उनसे सीखा.
'मियांदाद जैसा खेलता हूं'
सरफराज ने जियोसिनेमा को बताया, "मुझे विराट कोहली, एबी डिविलियर्स, सर विवियन रिचर्ड्स और यहां तक कि जावेद मियांदाद को देखना पसंद है क्योंकि मेरे पिताजी ने मुझसे कहा है कि मैं उनके जैसा खेलता हूं. मैं जो रूट की बल्लेबाजी भी देखता हूं. जो कोई भी सफल हो रहा है, मैं उन्हें देखता हूं कि वे यह कैसे कर रहे हैं ताकि मैं सीख सकूं और इसे लागू कर सकूं. मैं ऐसा करना जारी रखना चाहता हूं, चाहे वह रणजी ट्रॉफी में हो या भविष्य में भारत के लिए खेलना हो."
पिता नौशाद को मानते हैं असली हीरो
उनके पिता नौशाद अहमद ने उन्हें क्रिकेट से परिचित कराया और उनके असली हीरो रहे हैं. सरफराज ने कहा कि उनके पिता उन्हें बल्लेबाज़ी करते देखने के लिए यूपी या टीम जहां भी खेलती थी, वहां जाते थे.
"जब मैं मुंबई से यूपी गया, तो वह मुझे देखने के लिए फ्लाइट लेते थे. वह चयन परीक्षण से पहले मुझे छत या सड़क पर ही गेंदबाजी करना शुरू कर देते थे. अब मुझे उन प्रयासों का प्रभाव और महत्व महसूस होता है."
दो साल उत्तर प्रदेश में खेलने के बाद, सरफराज मुंबई लौट आए. उनके पिता इस मुश्किल समय में भी उनके साथ खड़े रहे. सरफराज ने कहा, "मेरे पिता हमेशा मेरे साथ खड़े रहे. जिंदगी में बिना मौके मिले गारंटी कुछ नहीं है."
लगातार बेहतर करने की चाहत
मुंबई में उन्हें कई मौके मिले और उनका करियर खिल उठा. अब उनके नाम 45 प्रथम श्रेणी मैचों में 69.85 के औसत से 3912 रन दर्ज हैं, जिसमें 14 शतक और 11 अर्धशतक शामिल हैं. वह लगातार अच्छा प्रदर्शन करते हैं और उनकी बैटिंग का राज है कि वह आसानी से संतुष्ट नहीं होते. वह हर दिन 500-600 गेंदें खेलते हैं और उनका मानना है कि पांच दिन का क्रिकेट खेलने के लिए हर दिन अभ्यास जरूरी है.