Nitish Kumar Reddy: भारत के ऑलराउंडर नीतीश कुमार रेड्डी ने बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के चौथे टेस्ट में दबाव के बीच, अपना पहला टेस्ट शतक जड़ा. मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड (MCG) पर यह पल बेहद खास था क्योंकि नितीश के पिता मुत्याला रेड्डी स्टेडियम में मौजूद थे और कैमरे उन्हें प्रार्थना करते हुए स्पॉट किया गया.
191/6 के स्कोर पर जब नितीश बल्लेबाजी करने आए, तब भारत गहरे संकट में था. लेकिन 21 साल के नीतीश ने शानदार पारी खेलते हुए शतक पूरा किया. जैसे ही उन्होंने शतक जड़ा, उनके पिता खुशी से झूम उठे और उनकी आंखों से आंसू छलक पड़े.
Absolute stuff of dreams ❤️
— 𝘿 (@DilipVK18) December 28, 2024
His father is in tears 🥹❤️
Nitish Kumar Reddy what a sensational knock
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नीतीश और उनके पिता की कहानी संघर्ष और त्याग से भरी है. नीतीश ने बीसीसीआई को दिए इंटरव्यू में बताया, 'मेरे पिता ने मेरे क्रिकेट करियर के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी. हमने कई आर्थिक मुश्किलें झेलीं. एक बार मैंने उन्हें रोते हुए देखा, तब मैंने खुद से कहा कि मुझे यह सब बदलना होगा.'
🚨It's a special day... beyond words to express 🗣️ Nitish Kumar Reddy's family gets emotional, reacting to his historic century.@ThumsUpOfficial @CricSubhayan @BoriaMajumdar @rohitjuglan @TrishaGhosal @debasissen #nitishkumarreddy #AUSvIND pic.twitter.com/l0zLoKH3ru
— RevSportz Global (@RevSportzGlobal) December 28, 2024
ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए एक newbie खिलाड़ी के रूप में शामिल किए गए नीतीश ने खुद को साबित किया. उन्होंने पहले तीन टेस्ट में 30-40 रन की पारियां खेलीं. लेकिन इस मैच में वॉशिंगटन सुंदर के साथ 127 रनों की साझेदारी करते हुए शतक बनाया. जब नितीश बल्लेबाजी करने आए, तब भारत ऑस्ट्रेलिया के 474 के स्कोर से 283 रन पीछे था और फॉलोऑन का खतरा मंडरा रहा था. लेकिन नीतीश की साहसिक पारी ने भारत को संकट से बाहर निकाला.
नीतीश के इस शानदार प्रदर्शन ने न केवल भारतीय टीम को मजबूती दी बल्कि उनके पिता के सपनों को भी साकार किया. यह कहानी साबित करती है कि मेहनत और त्याग कभी व्यर्थ नहीं जाते.