पिता मजदूर, टूटी जैवलिन से किया प्रैक्टिस, कौन हैं पाकिस्तान को ओलंपिक में मेडल दिलाने वाले अरशद नदीम?

अरशद नदीम ने पेरिस ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है. 92.97 मीटर दूर थ्रो कर उन्होंने पाकिस्तान को मेडल दिया. अरशद नदीम ये सफर आसान नहीं रहा. पाकिस्तान जैसे देश से निकलकर ओलंपिक के पोडियम तक पहुंचाना अपने आप में कहानी है.

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पेरिस ओलंपिक में पाकिस्तान के अरशद नदीम में इतिहास रच दिया. ओलंपिक में जेवलिन थ्रो के मुकाबले में नदीम में 92.97 मीटर दूर थ्रो किया. ये एक नया ओलंपिक रिकॉर्ड है. ससे पहले नॉर्ने के एथलीट थोरकिल्डसेन एंड्रियास ने साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक में 90.57 मीटर का रिकॉर्ड बनाया था. अरशद नदीम को कम हो लोग जानते हैं. भारतीय उन्हें नीरज चोपड़ा की वजन से जानने लगे. जब भी नीरज किसी इवेंट में खेलने उतरते नदीम उनके आसपास नजर आते थे. 

अरशद नदीम ये सफर आसान नहीं रहा. पाकिस्तान जैसे देश से निकलकर ओलंपिक के पोडियम तक पहुंचाना अपने आप में कहानी है. पेरिस ओलंपिक में पाकिस्तान से मात्र 7 एथलीट भाग लेने गए थे. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि नदीम की ये जीत कितनी बड़ी है. उन्होंने अपने  मुल्क का 32 साल का ओलंपिक सूखा समाप्त कर दिया है. 

ओलंपिक में वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिया

ओलंपिक में वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाते हुए अरशद नदीम ने अपने देश को 32 साल के बाद ओलंपिक पदक दिलाया. ओलंपिक में पाकिस्तान के पदक इतिहास को देखें तो पड़ोसी मुल्क ने आखिरी बार 1992 में पदक जीता था. 1992 के बार्सिलोनो ओलंपिक में पाकिस्तान हॉकी टीम ने मेंस में कांस्य पदक जीता था. उसके बाद से पाकिस्तान ने कोई पदक नहीं जीता था. 

मजदूर पिता और पौसे की किल्लत

अरशद नदीम मजदूर के बेटे हैं. बचपन गुरबत में बीती है. उनके पास इतने पैसे नहीं था कि जैवलिन जैसे खेल को खेल सकें. आठ भाई-बहनों में तीसरे नंबर के नदीम बताते हैं कि घर के हालात ठीक नहीं थे. उनके पिता 400-500 रुपये की मजदूरी करते थे. उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह घर खर्च के अलावा नदीम की ट्रेनिंग का खर्च उठा सकें. ऐसे में उन्हें पेरिस ओलंपिक की जैवलिन थ्रो ट्रेनिंग के लिए चंदा जुटाना पड़ा. उनके पास एक नया भाला खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे. उनका भाला खराब हो गया तो वो प्रैक्टिस पुराने टूटे हुए भाले से करते थे. 

टोक्यो ओलिंपिक मे किया था क्वालीफाई

अरशद नदीम का सपना सरकारी नौकरी हासिल करने का था. वो चाहते थे कि परिवार की मदद कर सके. उन्होंने स्पोर्ट्स कोटा के तहत पाकिस्तान वॉटर एंड पावर डेवलपमेंट अथॉरिटी के लिए ट्रायल्स दिए थे. पाकिस्तान के स्टार जैवलिन थ्रोअर सैय्यद हुसैन ने उनकी काफी मदद की. उन्होंने नदीम करियर को नई दिशा दी. नदीम के पिता ने इंटरव्यू में बताया कि नदीम की ट्रेनिंग के लिए दोस्त, गांव के लोग और रिश्तेदारों ने पैसे दिए हैं. सबकी दुआ से आज वह इस मुकाम पर पहुंचा है. नदीम पाकिस्तान की तरफ से टोक्यो ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई करने वाले पहले ट्रैक एंड फील्ड एथलीट बने थे. कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में उन्होंने गोल्ड मेडल जीता था.