वेस्टइंडीज की क्रिकेट टीम 80 के दशक में बेहद ही खतरनाक नजर आती थी और उन्होंने लगातार दो बार 1975 और 1979 का वर्ल्ड कप अपने नाम किया था. इसके बाद वे 1983 के विश्व कप के फाइनल में भी पहुंचे थे लेकिन भारत को हार का सामना करना पड़ा था. उस दौर में वेस्टइंडीज के सामने कोई भी टीम टिकती हुई नजर नहीं आती थी.
वेस्टइंडीज क्रिकेट (CWI) ने हाल ही में एक बड़ा कदम उठाया है जो क्रिकेट के प्रति एक नई दिशा और उम्मीद को जन्म दे सकता है. अब वेस्टइंडीज में क्रिकेट के खिलाड़ियों की पहचान और विकास के लिए एक नई और डेटा-आधारित प्रणाली का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे इस खेल के प्रति नए उत्साह की लहर दौड़ रही है.
CWI ने एक नई डेटा-आधारित स्काउटिंग प्रणाली शुरू की है, जो पुराने पारंपरिक तरीकों से पूरी तरह अलग है. इस प्रणाली के तहत, वेस्टइंडीज के विभिन्न क्षेत्रों में Senior Talent Managers, Territorial Talent Identifiers (TTIDs), और स्काउट्स की एक नेटवर्क बनाई जाएगी. इसका उद्देश्य खिलाड़ियों की पहचान करना और उनका विकास करना, साथ ही यह सुनिश्चित करना कि खेल के हर पहलू को ध्यान में रखा जाए.
इस नए सिस्टम का पहला प्रमुख इम्तहान वेस्टइंडीज चैंपियनशिप होगा, जहां खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस को बारीकी से ट्रैक और मूल्यांकन किया जाएगा. केवल स्कोरकार्ड और आंकड़ों को ही नहीं, बल्कि खिलाड़ियों की कौशल, रणनीतिक सोच और खेल की समझ को भी ध्यान में रखा जाएगा.
CWI ने दो वरिष्ठ प्रतिभा प्रबंधकों, जमाल स्मिथ (पुरुष) और ऐन ब्राउन-जॉन (महिला) की नियुक्ति की है, जो खिलाड़ियों के डेटा की निगरानी करेंगे और चयन निर्णयों में सहायता करेंगे. ये दोनों प्रबंधक, विश्लेषकों के साथ मिलकर इस सिस्टम को सही दिशा में आगे बढ़ाएंगे.
इसके अलावा, CWI ने छह क्षेत्रीय TTIDs की नियुक्ति भी की है, जो अलग-अलग क्षेत्रों में कार्य करेंगे. इनमें हेंडरसन ब्रूम्स (बारबाडोस), रामनरेश सरवन (गयाना), डेलरॉय मॉर्गन (जमैका), सामुएल स्पेंसर (लीवार्ड द्वीप), गिब्रान मोहम्मद (त्रिनिदाद और टोबैगो), और क्रेग इमैनुएल (विंडवार्ड द्वीप) शामिल हैं. इसके साथ ही, चार क्षेत्रीय स्काउट्स भी नियुक्त किए गए हैं जो वेस्टइंडीज चैंपियनशिप के दौरान खिलाड़ियों की परफॉर्मेंस का मूल्यांकन करेंगे.
CWI के क्रिकेट निदेशक माइल्स बासकोम्ब ने इस बदलाव की महत्ता को रेखांकित करते हुए कहा कि अब सिर्फ आंकड़ों और स्कोरकार्ड पर निर्भर नहीं हुआ जाएगा. नई प्रणाली के तहत खिलाड़ियों की हर परफॉर्मेंस को उसके संदर्भ में देखा जाएगा, जिसमें उनके तकनीकी कौशल, रणनीतिक सोच और खेल की समझ को भी अहम माना जाएगा.