दिल्ली में नवंबर महीने में भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच टेस्ट मैच का आयोजन करने के बाद भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा. नवंबर के महीने में दिल्ली में वायु प्रदूषण के स्तर में काफी बढ़ोतरी होती है और यह हर साल की समस्या बन चुकी है. ऐसे में बीसीसीआई के इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं. हालांकि, बोर्ड ने इस निर्णय का बचाव करते हुए इसे उचित ठहराया और कहा कि प्रदूषण की समस्या हर साल नहीं होती है.
दिल्ली में नवंबर महीने में वायु प्रदूषण एक गंभीर मुद्दा बन जाता है, जिससे खिलाड़ियों को स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. 2023 में बांगलादेश और श्रीलंका के बीच हुए एक वनडे मैच के दौरान भी इसी कारण से ट्रेनिंग सत्र को रद्द करना पड़ा था. इसके अलावा 2019 में बांगलादेश के दो खिलाड़ियों को मैदान पर उल्टी करते देखा गया था और 2017 में श्रीलंकाई खिलाड़ियों ने दिल्ली में टेस्ट मैच के दौरान मास्क पहने थे.
बीसीसीआई के सचिव देवजीत सैकीया ने इस फैसले का बचाव करते हुए कहा कि प्रदूषण की समस्या हर साल नहीं होती और उन्होंने सभी पहलुओं पर विचार करने के बाद यह निर्णय लिया. उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस बात करते हुए कहा, "हमने सभी कारकों पर विचार किया और यह निर्णय 'रोटेशन नीति' के तहत लिया गया है. प्रदूषण की समस्या हर साल नहीं होती है."
दिल्ली और जिला क्रिकेट संघ (DDCA) के सचिव अशोक शर्मा ने कहा, "अरुण जेटली स्टेडियम एक खुले इलाके में स्थित है और यहां हरियाली भी अधिक है, जिससे यहां की वायु गुणवत्ता अन्य इलाकों की तुलना में बेहतर रहती है."
शर्मा ने यह भी कहा, "दिल्ली को लंबे समय से टेस्ट मैच नहीं मिला था. बीसीसीआई ने हमें यह मैच दिया, इसलिए हमें कैलेंडर के हिसाब से काम करना होगा. नवंबर में प्रदूषण की समस्या, अगर होती भी है, तो दिसंबर की तुलना में कम होती है."
दिल्ली में प्रदूषण के चलते खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को लेकर कई सवाल उठते हैं. 2016 में रणजी ट्रॉफी के दो मैचों को रद्द कर दिया गया था क्योंकि खिलाड़ियों को सिरदर्द और आंखों में जलन जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा था.