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सेटेलाइट इमेज ने जिसे बताया जहाज का मलबा, पास जाकर देखा तो उड़ गए होश, प्रशांत महासागर में मिला दुनिया का सबसे बड़ा जीव

यह कोरल आकार में एक विशाल ब्लू व्हेल से भी बड़ा है.. वैज्ञानिकों ने कहा कि यह कोरल संभवत: 300 साल से भी अधिक पुराना हो सकता है. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में वैज्ञानिक इस कोरल की खोज को एक बड़ी घटना मान रहे हैं. इसकी आयु वैज्ञानिकों के लिए अतीत के महासागरीय हालातों को समझने में बेहद कारगर साबित हो सकती है.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Worlds largest coral finds in the Pacific Ocean

Science News: वैज्ञानिकों को हाल ही में प्रशांत महासागर के दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में दुनिया का सबसे बड़ा मूंगा (कोरल) मिला है. जलवायु परिवर्तन जैसे हालातों में यह खोज समुद्र के पारिस्थितिकी तंत्र के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण घटना मानी जा रही है. यह कोरल कई छोटे जीवों का समूह है, जो मिलकर एक जीव के रूप में कार्य करते हैं  न कि एक साधारण कोरल रीफ के रूप में. इस विशाल कोरल का आकार ब्लू व्हेल से भी बड़ा है.

300 साल में बना इतना विशाल
वैज्ञानिकों का कहना है कि यह कोरल संभवतः 300 वर्ष से भी अधिक पुराना हो सकता है. वैज्ञानिकों ने इस विशाल कोरल के आकार को मापने के लिए जल के नीचे विशेष प्रकार के मापने के उपकरण का इस्तेमाल किया. कोरल की चौड़ाई 34 मीटर, लंबाई 32 मीटर और ऊंचाई 5.5 मीटर है. यह आकार दर्शाता है कि यह कोरल समंदर के गहरे पानी में पाया गया, जहां उच्च सतही तापमान से इसकी सुरक्षा हुई है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह कोरल समुद्र के स्वास्थ्य के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है, खासकर तब जब समंदर के अन्य हिस्सों में कोरल रीफ्स जलवायु परिवर्तन के कारण संकट में हैं.

 कैसे हुई खोज
इस कोरल की खोज नेशनल ज्योग्राफिक के एक वीडियोग्राफर मैनू सैन फेलिक्स ने की, जो प्रशांत महासागर के दूरदराज इलाकों में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन कर रहे थे. मैनू ने बताया कि वे एक स्थान पर गोताखोरी कर रहे थे, जहां बताया गया था कि वहां जहाज का मलबा बै, लेकिन तब वे वहां पहुंचे तो हैरान रह गए. मैनू ने वहां एक विशाल संरचना देखी. मैनू ने बताया कि मैं अपने बेटे इनिगो और साथी के साथ गोताखोरी कर रहा था तभी समुद्र के गहरे पानी में मेरी नजर इस मूंगे पर पड़ी. इसे देखकर उन्हें एक समुद्री 'कैथेड्रल' जैसा अनुभव हुआ. यह कोरल सैकड़ों वर्षों से एक ही स्थान पर मौजूद है. 

क्या है इस कोरल के मायने
कोरल की इस प्रजाति को  'पावोना क्लेवस' कहा जाता है. यह प्रजाति समुद्र के भीतर अन्य समुद्री जीवों के लिए एक घर के रूप में कार्य करती है, जैसे झींगे, केकड़े और मछलियां. इसके अलावा इसकी आयु वैज्ञानिकों के लिए अतीत के महासागरीय हालातों को समझने में बेहद कारगर साबित हो सकती है. यह कोरल जलवायु परिवर्तन और समुद्र के तापमान में बदलाव को लेकर महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकता है.

कोरल रीफ्स का वैश्विक पारिस्थितिकी तंत्र में अहम योगदान है. ये समुद्र के अंदर जीवन के लिए आश्रय प्रदान करते हैं और समुद्री जैव विविधता का अहम हिस्सा होते हैं. इसके अलावा, इनका पर्यटन और मछली पालन जैसे उद्योगों पर भी गहरा असर पड़ता है, जो एक अरब से अधिक लोगों की आजीविका से जुड़े हुए हैं.

जलवायु परिवर्तन और कोरल की सुरक्षा
जलवायु परिवर्तन के कारण समुद्र का तापमान बढ़ रहा है, जिससे कोरल रीफ्स की स्थिति पर गंभीर असर पड़ रहा है. वैज्ञानिकों का कहना है कि यह विशाल कोरल एक तरह से उम्मीद की किरण के रूप में उभरा है. जबकि आसपास के उथले कोरल रीफ्स गर्म पानी की वजह से खराब हो गए हैं, यह गहरा कोरल क्षेत्र एक स्वस्थ ओएसिस के रूप में संरक्षित है, जो जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध क्षमता को दर्शाता है.