दुनिया में सबसे दुखी है ये डॉल्फिन, समुद्र में खुद से करती रहती है बातें; इंसान भी इसके सामने कुछ नहीं...
Science News: एक नई स्टडी में खुलासा हुआ है कि दुनिया में इंसान तो इंसान मछलियां भी दुखी होती हैं. हाल ही में हुई एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि बॉल्टिक सागर में मौजूद एक डेल नाम की बॉटलनोज डॉलफिन एक ऐसी मछली है जिसका कोई दोस्त नहीं है. स्टडी में खुलासा हुआ है कि वह दुनिया की सबसे दुखी डॉल्फिन है. कोई दोस्त न होन की वजह से यह डॉल्फिन खुद से ही बात करती है.
Science News: बाल्टिक सागर में एक अकेली बॉटलनोज डॉल्फिन, जिसे स्थानीय लोग 'डेल' कहते हैं, ने वैज्ञानिकों को हैरान कर दिया है. सामाजिक प्रजाति की मानी जाने वाली इस डॉल्फिन ने अकेलेपन के चलते खुद से बातें करना शुरू कर दिया है. विशेषज्ञों ने पाया है कि डेल गहरे पानी में अकेली तैरती रहती है और सामान्य डॉल्फिन की तरह अन्य साथियों से संपर्क नहीं करती.
वैज्ञानिकों ने डेल की गतिविधियों का अध्ययन करने के लिए पानी के नीचे रिकॉर्डिंग उपकरणों का उपयोग किया. उन्होंने देखा कि यह डॉल्फिन लगातार सीटी जैसी आवाजें निकाल रही है, जिसे आमतौर पर डॉल्फिन आपस में संवाद करने के लिए इस्तेमाल करती हैं. हालांकि, डेल की आवाजें किसी अन्य डॉल्फिन के लिए नहीं थीं, बल्कि ऐसा लग रहा था कि वह खुद से संवाद कर रही है.
सामाजिक जीव होते हुए भी अकेली क्यों है डॉल्फिन?
डॉल्फिन एक अत्यधिक सामाजिक प्रजाति हैं और अपने समूह के अन्य सदस्यों को पहचानने और बुलाने के लिए विशेष "सिग्नेचर व्हिसल" का उपयोग करती हैं. लेकिन डेल के मामले में, वैज्ञानिकों ने पाया कि उसकी आवाजें किसी समूह के अभाव में भी जारी थीं. अध्ययन में कहा गया, “अगर डेल के अकेले होने का पता न हो, तो इन आवाजों को सुनकर ऐसा लगेगा कि यह तीन अलग-अलग डॉल्फिन की आवाजें हैं."
सामाजिक संपर्क की कमी का प्रभाव
वैज्ञानिकों का मानना है कि डेल का यह व्यवहार उसके सामाजिक संपर्क की आवश्यकता को पूरा करने का एक तरीका हो सकता है. विशेषज्ञ अभी तक इस असामान्य व्यवहार के पीछे के स्पष्ट कारणों का पता नहीं लगा पाए हैं. हालांकि, उनका कहना है कि यह "सेल्फ-टॉक" डॉल्फिन के मानसिक और भावनात्मक संतुलन को बनाए रखने की एक प्रतिक्रिया हो सकती है.
डॉल्फिन मछलियों का भी बदलता व्यवहार
यह अकेली डॉल्फिन केवल समुद्री जीवों की बदलती प्रवृत्तियों का एक उदाहरण है. हाल ही में जापान के त्सुरुगा क्षेत्र में एक डॉल्फिन ने तैराकों पर हमला किया, जिससे यह संकेत मिलता है कि डॉल्फिन का व्यवहार उनके पर्यावरणीय और सामाजिक परिवर्तनों का नतीजा हो सकता है.
डेल और अन्य घटनाएं समुद्री जीवन के बदलते व्यवहार पर प्रकाश डालती हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि इन घटनाओं का अध्ययन करना जरूरी है, ताकि इंसान और समुद्री जीवों के बीच के संबंध को बेहतर तरीके से समझा जा सके और इनके संरक्षण के लिए उपयुक्त कदम उठाए जा सकें.
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