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वैज्ञानिकों को मिला दुनिया का सबसे पुराना उल्का क्रेटर, अब खुलेगा पृथ्वी की उत्पत्ति का राज

हाल ही में प्रकाशित एक शोध में, कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 3.5 अरब वर्ष पूर्व हुए एक विशाल उल्कापिंड के टकराव के साक्ष्य खोजे हैं. यह खोज पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास के बारे में हमारी पुरानी धारणाओं को चुनौती देती है. इससे पहले, खोजा गया सबसे पुराना उल्का क्रेटर भी ऑस्ट्रेलिया में ही था, लेकिन उसकी आयु केवल 2.2 अरब वर्ष थी.

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Edited By: Sagar Bhardwaj
Scientists identified oldest known meteorite impact crater on Earth

ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने एक अद्वितीय खोज की है, जो पृथ्वी पर जीवन के विकास की कहानी को नए सिरे से लिखने की क्षमता रखती है. पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक दूरस्थ क्षेत्र में वैज्ञानिकों ने पृथ्वी पर अब तक ज्ञात सबसे पुराने उल्कापिंड के प्रभाव से बने क्रेटर का पता लगाया है. यह विशाल क्रेटर हमारे ग्रह के प्राचीन अतीत को समझने के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है.

3.5 अरब साल पुराना उल्का क्रेटर

हाल ही में प्रकाशित एक शोध में, कर्टिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 3.5 अरब वर्ष पूर्व हुए एक विशाल उल्कापिंड के टकराव के साक्ष्य खोजे हैं. यह खोज पृथ्वी के प्रारंभिक इतिहास के बारे में हमारी पुरानी धारणाओं को चुनौती देती है. इससे पहले, खोजा गया सबसे पुराना उल्का क्रेटर भी ऑस्ट्रेलिया में ही था, लेकिन उसकी आयु केवल 2.2 अरब वर्ष थी.

अध्ययन के सह-प्रमुख प्रोफेसर टिम जॉनसन ने कहा, "हमारी खोज से पहले, सबसे पुराना ज्ञात उल्का क्रेटर 2.2 अरब वर्ष पुराना था, इसलिए यह पृथ्वी पर पाया गया अब तक का सबसे प्राचीन क्रेटर है." उन्होंने आगे कहा, "अब तक, प्राचीन क्रेटरों की कमी के कारण भूवैज्ञानिकों ने उन्हें अनदेखा किया है. यह अध्ययन पृथ्वी के उल्कापिंड प्रभाव के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा प्रदान करता है और यह सुझाव देता है कि समय के साथ और भी कई प्राचीन क्रेटर खोजे जा सकते हैं."

100 किलोमीटर से अधिक चौड़ाई

यह क्रेटर 100 किलोमीटर से अधिक चौड़ा था और उत्तर-पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में एक उल्कापिंड के टकराने से बना था. माना जाता है कि उल्कापिंड 36,000 किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक की गति से यात्रा कर रहा था, और इसके कारण मलबा पूरी दुनिया में फैल गया होगा.

को-राइटर प्रोफेसर क्रिस किर्कलैंड ने कहा कि यह खोज उल्कापिंडों ने पृथ्वी के प्रारंभिक वातावरण को कैसे आकार दिया, इस पर नया प्रकाश डालती है. उन्होंने कहा, "इस प्रभाव का पता लगाना और उसी समय अवधि से और अधिक खोज करना यह समझा सकता है कि जीवन कैसे शुरू हुआ होगा, क्योंकि उल्का क्रेटरों ने सूक्ष्मजीव जीवन के लिए अनुकूल वातावरण बनाया, जैसे कि गर्म पानी के कुंड."

किर्कलैंड ने यह भी कहा कि यह पृथ्वी की पपड़ी के गठन की हमारी समझ को भी गहराई से बदल देता है. इस प्रभाव से उत्पन्न ऊर्जा की विशाल मात्रा ने प्रारंभिक पृथ्वी की पपड़ी को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई होगी."

नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित हुआ शोध

यह शोध 'नेचर कम्युनिकेशंस' पत्रिका में प्रकाशित हुआ है, जिसका शीर्षक है ‘A Paleoarchaean impact crater in the Pilbara Craton, Western Australia’. इस खोज से वैज्ञानिकों को पृथ्वी के प्रारंभिक विकास और जीवन के उद्भव के बारे में नई जानकारी मिलने की संभावना है.