Plastic Pollution: प्लास्टिक कचरे पर दुनिया की पहली कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि स्थापित करने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय वार्ता से पहले जारी एक नए विश्लेषण के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते संकट से निपटने के लिए वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन को कम किया जाना चाहिए.
इंसान के खात्मे के लिए भगवान की जरूरत नहीं है क्योंकि इंसान अपनी मौत का सामान खुद तैयार कर रहा है. इंसान ने अपनी मौत के ढेरों सामान बना लिए हैं उन्हीं में से एक है प्लास्टिक. प्लास्टिक कचरे को रोकने के लिए दुनिया की पहली कानूनी रूप से बाध्यकारी संधि स्थापित करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण अंतराष्ट्रीय वार्ता होने जा रही है. उससे पहले एक विश्लेषण जारी हुआ है. नए विश्लेषण के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते संकट से निपटने के लिए वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन को कम किया जाना चाहिए.
एक नए अध्ययन के अनुसार, प्लास्टिक प्रदूषण के बढ़ते संकट को रोकने के लिए वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन में तत्काल कमी की आवश्यकता है. यह विश्लेषण महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय वार्ताओं से पहले जारी किया गया है, जो प्लास्टिक कचरे पर दुनिया का पहला कानूनी रूप से बाध्यकारी समझौता स्थापित करने के लिए आयोजित की जा रही हैं.
2050 तक दोगुना हो जाएगा प्लास्टिक कचरा
सामुएल पॉटिंजर के नेतृत्व में की गई यह स्टडी बताती है कि यदि प्लास्टिक उत्पादन पर कोई सीमा नहीं लगाई जाती, तो 2050 तक अव्यवस्थित प्लास्टिक कचरा 121 मिलियन टन तक पहुंच सकता है. इसके अलावा, प्लास्टिक उद्योग से वार्षिक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 37% तक वृद्धि हो सकती है. अध्ययन में चार प्रमुख उपायों की सिफारिश की गई है, जिनसे प्लास्टिक कचरे का प्रभावी रूप से सामना किया जा सकता है:
91% तक कम हो सकता है प्लास्टिक
इन उपायों के कार्यान्वयन से 2050 तक अव्यवस्थित प्लास्टिक कचरे में 91% तक की कमी आ सकती है, साथ ही प्लास्टिक से संबंधित उत्सर्जन में एक तिहाई की कटौती हो सकती है.
संयुक्त राष्ट्र की वार्ताओं से पहले इस अध्ययन में प्लास्टिक प्रदूषण से निपटने के लिए वैश्विक समझौते की तत्काल आवश्यकता को रेखांकित किया गया है. पॉटिंजर का कहना है, 'यह अध्ययन स्पष्ट रूप से दिखाता है कि प्लास्टिक उत्पादन में कमी किए बिना प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना लगभग असंभव होगा.'
इस अध्ययन के अनुसार, यदि 2020 स्तर पर प्लास्टिक उत्पादन की सीमा लगाई जाती है, तो 2050 तक अव्यवस्थित प्लास्टिक कचरा 121 मिलियन टन से घटकर 72 मिलियन टन हो सकता है. इसके अतिरिक्त, पैकेजिंग पर टैक्स, एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध और पैकेजिंग पुनः उपयोग अनिवार्य करने जैसे उपायों से प्लास्टिक प्रदूषण में उल्लेखनीय कमी आ सकती है.
अगर इन उपायों को लागू किया जाता है, तो प्लास्टिक प्रदूषण के वैश्विक संकट को कम करने में महत्वपूर्ण सफलता मिल सकती है, साथ ही पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य पर इसके दुष्प्रभाव को भी रोका जा सकता है.