Nobel Peace Prize 2024: जापानी संगठन Nihon Hidankyo को शांति का नोबेल पुरस्कार, परमाणु बम से दुनिया को करता है आगाह
Nobel Peace Prize 2024: इस साल का शांति का नोबेल पुरस्कार जापान के संगठन निहोन हिडांक्यो को मिला है. अपने आधिकारिक एक्स पेज पर, नोबेल समिति ने इसकी घोषणा की. संगठन को यह शांति पुरस्कार परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व बनाने के प्रयासों और गवाहों के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
Nobel Peace Prize 2024: 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार जापानी परमाणु बम से बचे लोगों के संगठन निहोन हिडानक्यो को दिया गया है. निहोन हिडांक्यो हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों (हिबाकुशा) का प्रतिनिधित्व करता है. सभी 47 जापानी प्रान्तों में सदस्य समूहों के साथ, यह लगभग सभी संगठित हिबाकुशा को एकजुट करता है. इसके नेता और सदस्य दोनों ही बचे हुए लोग हैं. अपने आधिकारिक एक्स पेज पर, नोबेल समिति ने इसकी घोषणा की. संगठन को यह शांति पुरस्कार परमाणु हथियारों से मुक्त विश्व बनाने के प्रयासों और गवाहों के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए दिया गया है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी उपयोग नहीं किया जाना चाहिए.
ये हिडानक्यो दुनिया भर में अपनी पीड़ा और दर्दनाक यादों को निहोन हिदांक्यो संगठन के जरिए साझा करते हैं. नोबेल कमेटी ने कहा कि एक दिन परमाणु हमले को झेलने वाले ये लोग हमारे पास नहीं रहेंगे, लेकिन जापान की नई पीढ़ी उनकी याद और अनुभवों को दुनिया के साथ साझा करती रहेगी और उन्हें याद दिलाती रहेगी कि परमाणु हथियार दुनिया के लिए कितने खतरनाक हैं.
परमाणु हथियारों के नुकसान से करता है आगाह
नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो को देने का फैसला किया है. पेज पर लिखा गया कि हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों के इस जमीनी आंदोलन, जिसे हिडानक्यो के नाम से भी जाना जाता है, परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया हासिल करने और गवाहों के बयानों के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के प्रयासों के लिए शांति पुरस्कार मिल रहा है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
कब बना संगठन?
इस संगठन की स्थापना हाइड्रोजन बम की टेस्टिंह के बाद हुई. अमेरिका ने 1954 में हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया था, जिसके विरोध में 1955 में वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई थी. 1945 में हुए परमाणु हमलों के लगभग 10 साल बाद भी पीड़ितों को अमेरिका की तरफ से कोई मदद नहीं मिली थी। निहोन हिडानक्यो संगठन ने परमाणु हमले की पीड़ितों को दुनिया के अलग-अलग देशों में भेजा, जिससे इसकी नुकसान के बारे में लोगों को पता लग सके.