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India Daily

बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा पर जल्द पहुंचेगा नासा, यूरोपा तक पहुंचने के लिए लॉन्च हुआ स्पेसक्राफ्ट

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा धरती का चांद नहीं बल्कि अब बृहस्पति के चांद की स्टडी करेगा. इसके लिए नासा द्वारा नई स्पेसक्राफ्ट लॉन्च की गई है. जिसे बृहस्पति के चांद यूरोपा तक पहुंचने में लगभग 6 साल का समय लगेगा.

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Edited By: Shanu Sharma
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Courtesy: x post

NASA: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा यूरोपा पर स्टडी करने की तैयारी में है. इसके लिए कैनेडी स्पेस सेंटर से यूरोपा क्लिपर नाम के स्पेसक्राफ्ट को लॉन्च किया गया है. इस यान को यूरोपा तक पहुचंने में लगभग 6 साल का समय लगेगा. जिसका मतलब है 2030 तक नासा का ये यान बृहस्पति ग्रह के चंद्रमा तक पहुंच जाएगा. जिसके लिए इस यान को लगभग 290 करोड़ किलोमीटर की यात्रा तय करनी होगी. 

नासा द्वारा इस यान को पहले ही लॉन्च किया जाना था, लेकिन तूफान मिल्टन की वजह से इसे कुछ समय के लिए रोक दिया गया था. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक बृहस्पति ग्रह की ऑर्बिट में पहुंचने के बाद यूरोपा चंद्रमा के 49 चक्कर काटेगा. जिसमें सबसे नजदीकी यात्रा चांद से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर होगी. 

खास तरीके से तैयार हुआ यूरोपा

बृहस्पति ग्रह पर यूरोपा क्लिपर को धरती से 20 हजार गुना ज्यादा मैग्नेटिक फील्ड का सामना करना होगा. इस भयानक रेडिशन का सामना करना बेहद ही मुश्किल है. यूरोपा क्लिपर में 2750 किलोग्राम ईंधन डाले गए हैं. जो की उसे बृहस्पति तक ले जाने में मदद करेगा. इस स्पेसक्राफ्ट को बनाने में नासा ने काफी मेहनत की है. मैग्नेटिक फील्ड और रेडिएशन को ध्यान में रखते हुए इसे 100 फीट लंबा बनाया गया है. इसके सोलर पैनल और एंटीना खुलने के बाद इसकी चौड़ाई लगभग 58 फीट तक होती है. वहीं इसका वजह लगभग 6 हजार किलो है. 

जीवन मौजूद होने की उम्मीद

बता दें कि बृहस्पति के पास कुल 95 चंद्रमा है. जिसमें से यूरोपा सबसे बड़े चांदो में चौथे नंबर पर है. इसका क्षेत्र धरती के डायमीटर का एक चौथाई है. इसके जमीन पर नमकीन पानी का समंदर है. जिसके कारण कहा जाता है कि यहां जीवन भी मौजूद हो सकता है या फिर कभी रहा हो. माना जाता है कि यूरोपा पर पृथ्वी से दोगुना पानी है, हालांकि इस बात का अबतक कोई प्रमाण नहीं है.