नासा ने चांद की सतह पर जीपीएस का इस्तेमाल कर इतिहास रच दिया है. इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ. GNSS के माध्यम से चांद की सतह पर सिग्नल प्राप्त किए गए और ट्रैक किए गए. यह उपलब्धि नासा और इतावली अंतरिक्ष एजेंसी ने 3 मार्च को हासिल की. जब लूनर जीएनएसएस रिसीवर एक्सपेरिमेंट (LuGRE) ने जीपीएस सिग्नल प्राप्त किए और उन पर नजर रखी.
नासा ने कहा कि इस उपलब्धि का अर्थ है कि आर्टेमिस मिशन या अन्य मिशन इन संकेतों का लाभ उठा सकते हैं, जिससे वे अपनी स्थिति, गति और समय का सटीक व स्वतंत्र रूप से निर्धारण कर सकेंगे.
NASA successfully acquires GPS signals on Moon https://t.co/73rO0st9tU pic.twitter.com/L8Zdu4kd2r
— AZERTAC News Agency (@AZERTAC) March 5, 2025
क्या हैं GNSS सिग्नल
GNSS सिग्नल रेडियो वेव्स का इस्तेमाल कर स्थिति, नेविगेशन और समय के बारे में सटीक जानकारी प्रेषित करते हैं और पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले उपग्रहों द्वारा प्रसारित किये जाते हैं. दुनिया भर की सरकारों द्वारा जीपीएस, गैलीलियो, बीडौ और ग्लोनास सहित कई जीएनएसएस नक्षत्र प्रदान किए जाते हैं.
लुग्रे चंद्रमा तक कैसे पहुंचा?
लुग्रे को फायरफ्लाई एयरोस्पेस के ब्लू घोस्ट चंद्र लैंडर पर चंद्रमा पर ले जाया गया, जो 2 मार्च को चंद्रमा पर उतरा. ब्लू घोस्ट ने नासा के 10 पेलोड में से एक के रूप में लुग्रे को चंद्रमा तक पहुंचाया. लैंडिंग के तुरंत बाद, मैरीलैंड के ग्रीनबेल्ट में नासा के गोडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर में लुग्रे पेलोड ऑपरेटरों ने चंद्रमा की सतह पर अपना पहला वैज्ञानिक संचालन शुरू किया.
लुग्रे ने पृथ्वी से लगभग 2.25 लाख मील दूर एक नेविगेशन फिक्स प्राप्त किया. यह तकनीक 14 दिनों तक लगातार काम करेगी, जिससे अतिरिक्त जीएनएसएस मील के पत्थर स्थापित होंगे. लुग्रे इतालवी अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा चंद्रमा पर विकसित किया गया पहला हार्डवेयर भी है, जो संगठन के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है.
21 जनवरी को, लुग्रे ने पृथ्वी से लगभग 2.10 लाख मील की दूरी पर अब तक के सबसे ऊंचे जीएनएसएस सिग्नल अधिग्रहण को पार कर लिया, एक रिकॉर्ड जो पहले नासा के मैग्नेटोस्फेरिक मल्टीस्केल मिशन के पास था.
जैसे ही लुग्रे 20 फरवरी को चंद्र कक्षा में पहुंचा, 2.43 लाख मील, इसका ऊंचाई रिकॉर्ड बढ़ता रहा. इसका मतलब है कि सिसलुनर अंतरिक्ष (पृथ्वी और चंद्रमा के बीच का क्षेत्र) में मिशन भी नेविगेशन फिक्स के लिए जीएनएसएस संकेतों पर भरोसा कर सकते हैं.
क्या होगा फायदा
यह सफलता अंतरिक्ष अन्वेषण के क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत का संकेत देती है, जहां जीपीएस जैसी तकनीकें चंद्रमा और उससे आगे के मिशनों को अधिक सटीक और स्वायत्त बनाएंगी.