जब मगरमच्छ ने 33 फीट लंबे उड़ते डायनासोर पर किया हमला तो दुनिया के खतरनाक जानवर का हुआ था ये हाल
ब्राउन कहते हैं, "ऐसी पारिस्थितिकी के प्रमाण, जैसे इस जीवाश्म से मिली जानकारी, इन रहस्यमय जीवों की पारिस्थितिकी भूमिका को स्पष्ट करने में मदद करती है. शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि क्रायोड्राकोन और अन्य पंखों वाले प्राणियों के बारे में जानकारी अभी भी अपूर्ण है, क्योंकि इनके हड्डियां पतली और नाजुक होती हैं, जिससे उनके जीवाश्म कम संरक्षित होते हैं.
करीब 76 मिलियन साल पहले, पृथ्वी के इतिहास के सबसे बड़े उड़ने वाले जीवों में से एक, क्रायोड्राकोन बोरेस, एक हरे-भरे तटीय मैदान पर नदी के किनारे चल रहा था. इस युवा क्रायोड्राकोन ने अपनी दांतहीन चोंच को पानी में डुबोकर प्यास बुझाई, बिना यह जानने कि जल के किनारे पर एक खतरनाक शिकार उसे घातक रूप से अटैक करने के लिए तैयार है. अचानक, पानी से एक विशाल मगरमच्छ ने छलांग लगाई और क्रायोड्राकोन की गर्दन में अपने दांत गड़ा दिए.
यही था क्रीटेशियस युग का जीवन और मृत्यु. अब, वैज्ञानिकों ने अल्बर्टा प्रांत के डायनासोर प्रोविंशियल पार्क में एक युवा क्रायोड्राकोन की जीवाश्मित गर्दन की हड्डी की खोज की है, जो संभवतः ऐसी ही स्थिति में मरा था.
क्रायोड्राकोन का जीवाश्म और इसका महत्वपूर्ण अध्ययन
इस जीवाश्म को माइक्रोस्कोप और माइक्रो-सीटी स्कैन के तहत विश्लेषण किया गया, और इसमें एक शंक्वाकार छेद पाया गया जो लगभग 4 मिमी चौड़ा है. यह छेद एक क्रोकोडाइल के दांत का निशान प्रतीत होता है, जो या तो जीवित रहते हुए क्रायोड्राकोन पर हमला किया था या फिर उसकी मृत्यु के बाद उसे खा लिया था. यह पंखों वाला रिप्टाइल, जिसे "उत्तर हवाओं का ठंडा ड्रैगन" कहा जाता है, लगभग 10 मीटर (33 फीट) के पंखों के फैलाव के साथ आकार में विशाल था. इसका नन्हा रूप केवल 2 मीटर (7 फीट) का था.
कैलेब ब्राउन का नजरिया और शोध के परिणाम
कैलेब ब्राउन, जो अल्बर्टा के रॉयल टायरल म्यूज़ियम ऑफ पैलियंटोलॉजी के पेलियंटोलॉजिस्ट हैं और इस अध्ययन के मुख्य लेखक हैं. उनका कहना है कि, "क्रायोड्राकोन पानी की सतह पर हो सकता था, जैसे कि पानी पीने या शिकार के लिए. इसके अलावा, आधुनिक मगरमच्छ भी सक्रिय शिकारी और मांसाहारी होते हैं, जो अपने शिकार के लिए पानी के किनारे का लाभ उठाते हैं.
ब्रायन पिकल्स, अध्ययन के सह-लेखक इस बात की पुष्टि करते हैं कि "इसमें कोई भी इलाजर के संकेत नहीं हैं, तो यह घाव या तो हमले के दौरान हुआ था या फिर जब जीव पहले ही मर चुका था.
पेटरोसॉर का रहस्यमय पारिस्थितिकी तंत्र
क्रायोड्राकोन और उसके समान जीवों का भोजन, और इन पर शिकार करने वाले अन्य प्रजातियों के बारे में भी वैज्ञानिकों के पास अधिक जानकारी है. अध्ययन में यह भी पाया गया कि इस समय के डायनासोरों जैसे गॉर्गोसॉरस और डास्प्लेतेसॉरस के दांतों से ये चोट के निशान मेल नहीं खाते, बल्कि यह एक क्रोकोडाइल के दांतों के आकार से मिलते हैं.
बता दें कि, ये इलाका गर्म, आर्द्र और सपाट था, जिसमें बड़े-बड़े नदियां बहती थीं और तरह-तरह के जीव-जंतु पाए जाते थे. इसमें शाकाहारी और मांसाहारी डायनासोर, कई प्रजातियों के मगरमच्छ, कछुए, छोटे स्तनधारी, पक्षी, उभयचर और मछलियां शामिल थीं.