Transgender होने की वजह से पिता ने जीते जी कर दिया था अंतिम संस्कार, आज बच्चियों के लिए मसीहा बन रही हैं Gauri Sawant
Who Is Transgender Gauri Sawant: सुस्मिता सेन की फिल्म 'ताली' में ट्रांसजेंडर गौरी सावंत की कहानी बताई गई है. गौरी ने तमाम तकलीफों को झेलते हुए समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है. आज हर कोई गौरी की जिंदगी को और करीब से जानना चाहता है.
मुंबई के दादर में एक मराठी परिवार में जन्मी थीं गौरी सावंत. मां-बाप ने बड़े प्यार से इनका नाम गणेश नंदन रखा था. गौरी महज 7 साल की थी, जब उनके सर से मां का साया उठ गया. पिता एक पुलिस ऑफिसर थे, नजीतन गौरी अपनी असलीयत उनके सामने बता नहीं पाईं.
मुंबई के दादर में एक मराठी परिवार में जन्मी थीं गौरी सावंत. मां-बाप ने बड़े प्यार से इनका नाम गणेश नंदन रखा था. गौरी महज 7 साल की थी, जब उनके सर से मां का साया उठ गया. पिता एक पुलिस ऑफिसर थे, नजीतन गौरी अपनी असलीयत उनके सामने बता नहीं पाईं.
गौरी को अपने सेक्शुएलिटी की सच्चाई पता थी. स्कूल-कॉलेज में उनका काफी मजाक उड़ाया जाता था. लोग भद्दे कॉमेंट किया करते थे. बावजूद इसके गौरी ने हिम्मत नहीं हारी और खुद को संभालती रहीं.
गौरी को अपने सेक्शुएलिटी की सच्चाई पता थी. स्कूल-कॉलेज में उनका काफी मजाक उड़ाया जाता था. लोग भद्दे कॉमेंट किया करते थे. बावजूद इसके गौरी ने हिम्मत नहीं हारी और खुद को संभालती रहीं.
गौरी का लड़कों की तरफ आकर्षण बढ़ने लगा था. परिवार ने कभी उनकी सेक्शुएलिटी को स्वीकान नहीं किया और पिता को शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े इसके लिए उन्होंने एक बड़ा कदम उठा लिया.
गौरी का लड़कों की तरफ आकर्षण बढ़ने लगा था. परिवार ने कभी उनकी सेक्शुएलिटी को स्वीकान नहीं किया और पिता को शर्मिंदगी का सामना न करना पड़े इसके लिए उन्होंने एक बड़ा कदम उठा लिया.
गौरी महज 14 साल की थीं जब उन्होंने घर छोड़ने का फैसला लिया. इसके बाद उन्होंने अपनी वेजिनोप्लास्टी करवा ली यावी जेंडर चेंज करवा लिया.
गौरी महज 14 साल की थीं जब उन्होंने घर छोड़ने का फैसला लिया. इसके बाद उन्होंने अपनी वेजिनोप्लास्टी करवा ली यावी जेंडर चेंज करवा लिया.
हरसफर ट्रस्ट ने गौरी की काफी मदद की. बाद में साल 2000 में उन्होंने सखी चार चौगी नाम के संस्था की स्थापना की. यह संस्था घर की भागी हुई किन्नरों की मदद करने लगा. गौरी शंकर और नाड फाउंडेशन की बदौलत ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर कानून को मान्यता दी.
हरसफर ट्रस्ट ने गौरी की काफी मदद की. बाद में साल 2000 में उन्होंने सखी चार चौगी नाम के संस्था की स्थापना की. यह संस्था घर की भागी हुई किन्नरों की मदद करने लगा. गौरी शंकर और नाड फाउंडेशन की बदौलत ही सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर कानून को मान्यता दी.
बेहद कम लोग जानते हैं कि गौरी देश की पहली ट्रांसजेंडर इलेक्शन ऐंबैसेडर हैं. गौरी ने न सिर्फ किन्नरों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है बल्कि मासूम बच्चियों को सेक्स वर्कर जैसे दलदल से भी बचाया है.
बेहद कम लोग जानते हैं कि गौरी देश की पहली ट्रांसजेंडर इलेक्शन ऐंबैसेडर हैं. गौरी ने न सिर्फ किन्नरों के अधिकार के लिए लड़ाई लड़ी है बल्कि मासूम बच्चियों को सेक्स वर्कर जैसे दलदल से भी बचाया है.