छोटे-छोटे बच्चों में किडनी की समस्या होने से उनके यूरिन में झाग आने लगता है, प्रोटीन लॉस होता है. इसके बारे में आचार्य मनीष ने विस्तार से बताया है. आचार्य मनीष ने रिपोर्ट के हवाले से बताया कि जब तक किडनी 70 प्रतिशत तक खराब नहीं हो जाती, उसका पता ही नहीं चलता है. इसलिए यह बेहद जरूरी है कि हम उसके छोटे से छोटे सिमटम्प्स पर नजर रखें और उसी के हिसाब से काम करें.
उन्होंने आगे बताया कि जिनका भी बीपी छोटी उम्र में ही 200 पहुंच जाता है और वे उसे कंट्रोल करने के लिए दवाएं खाते हैं तो उनकी भी किडनी जल्दी फेल होती है. अगर आप कोई पेनकिलर लेते हैं तो आपको खूब पानी पीना चाहिए वरना इसका असर भी किडनी पर होता है. सबसे बेहतर है कि आप किडनी को फेल होने ही मत दो और किडनी ट्रांसप्लांट जैसे खर्चीले इलाजों से बचें.
आचार्य मनीष ने बताया कि किडनी खराब होने का लक्षण है कि सही से नींद नहीं आती है, चेहरे पर सूजन दिखाई देती है, थकान रहती है, बच्चों का वजन तेजी से कम होता है, पेशाब में जलन होने लगती है, पेशाब का रंग बदल जाता है और पेशाब करने में समय भी ज्यादा लगता है.