नई दिल्ली. पूरी दुनिया में जहां भी आदिवासी समुदाय रहते हैं, वहां पर हर साल 9 अगस्त को विश्व आदिवासी दिवस मनाया जाता है. आदिवासी समुदाय के लोगों को रहन-सहन, खानपान, रीति-रिवाज आदि आम लोगों से अलग होता है. समाज की मुख्यधारा से अलग होने के कारण ये अन्य लोगों से थोड़ा सा पिछड़ गए हैं. इस कारण इनके उत्थान के लिए और इनके अधिकारों को बताने के लिए कई सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इसी के तहत संयुक्त राष्ट्र महासभा ने पहली बार साल 1994 को अंतर्राष्ट्रीय आदिवासी दिवस घोषित किया था. इसके बाद से हर साल इसको 9 अगस्त को मनाया जाने लगा.
घटती जा रही है आदिवासियों की संख्या
आदिवासियों के रीति-रिवाजों से लेकर पहनावा भी काफी अलग होता है. कई रिपोर्ट्स की मानें तो इनकी संख्या समय के साथ घटती जा रही है. आदिवासियों को अपना अस्तित्व, संस्कृति और सम्मान बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. इस जनजाति के संरक्षण और इनकी संस्कृति को बचाने के लिए आदिवासी दिवस मनाया जाता है.
ऐसे मनाया जाता है यह दिवस
इस दिन दुनियाभर में संयुक्त राष्ट्र और कई देशों के सरकारी संस्थानों के साथ ही आदिवासी समुदाय के लोग सामूहिक समारोह का आयोजन करते हैं. इस दौरान आदिवासियों की मौजूदा स्थिति और भविष्य की चुनौतियों को लेकर चर्चा होती है. इस कारण कई जगहों पर जागरूकता अभियान भी चलाए जाते हैं.
भारत में भी रहते हैं कई आदिवासी
भारत के राज्य झारखंड, छत्तीसगढ़, बिहार में भी आदिवासी समुदाय के लोग रहते हैं. मध्य प्रदेश में 46 आदिवासी जनजातियां रहती हैं. मध्यप्रदेश में कुल 21 फीसदी लोग आदिवासी समुदाय के रहते हैं. इसके साथ ही झारखंड की कुल आबादी का करीब 28 प्रतिशत आदिवासी समाज के लोग हैं.