बारिश पड़ते ही क्यों याद आते हैं चाय-पकौड़े? स्वाद नहीं बल्कि साइंस है कारण
Why Rain Causes craving of Tea Pakoda: कभी आपने गौर किया है कि मानसून के आते ही मन बेचैन क्यों हो उठता है? जैसे कोई अदृश्य शक्ति हमें गरमागरम पकौड़ों और चाय की ओर खींचती हो. यह सिर्फ स्वाद की बात नहीं है, बल्कि इसके पीछे विज्ञान भी काम करता है.
Why Rain Causes craving of Tea Pakoda: बरसात के मौसम में, जब आसमान में काले बादल छा जाते हैं और ठंडी हवा चलने लगती है, तो हमारे मन में सबसे पहले चाय और गरमागरम पकौड़ों की तस्वीर उभर आती है. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर क्यों बारिश के दिनों में पकौड़े खाने का मन इतना ज्यादा करता है? इसका राज सिर्फ स्वाद में ही नहीं छिपा है, बल्कि इसके पीछे विज्ञान भी काम कर रहा है.
डॉ. अंशुल सिंह, जो आर्टेमिस हॉस्पिटल्स में क्लिनिकल न्यूट्रीशन एंड डायटेटिक्स विभाग में टीम लीड हैं, बताते हैं कि पकौड़ों में मौजूद बेसन, मसाले और विभिन्न प्रकार की सब्जियां हमें भरपूर मात्रा में पोषण प्रदान करती हैं.
ये पकौड़े विटामिन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट और एनर्जी से भरपूर होते हैं. साथ ही, चाय एक गर्म पेय होने के नाते शरीर को ताजगी प्रदान करती है.
विज्ञान क्या कहता है?
जब बारिश होती है, तो सूर्य का प्रकाश कम मिल पाता है, जिससे हमारे शरीर में विटामिन डी की कमी हो जाती है. साथ ही, हैप्पी हार्मोन सेरोटोनिन का स्तर भी कम हो जाता है. ऐसे में हमारे शरीर को कार्बोहाइड्रेट की जरूरत होती है, और पकौड़े इसका एक अच्छा स्रोत हैं.
पकौड़े खाने से सेरोटोनिन का स्तर बढ़ता है और हमारा मूड अच्छा हो जाता है. इसके अलावा, तले हुए खाद्य पदार्थ हमारे मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे हमें खुशी महसूस होती है.
परिवार का साथ पर सावधानी के साथ
बारिश के दिनों में, हम सब मिलकर बैठकर चाय-पकौड़े खाते हैं, हंसते-खेलते हैं. इससे हमारे पारिवारिक रिश्ते मजबूत होते हैं और हम एक-दूसरे के करीब आते हैं. हालांकि, पकौड़ों का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए. अधिक मात्रा में पकौड़े खाने से कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है.
बारिश के दिनों में चाय-पकौड़े खाने का हमारा मन करना सिर्फ स्वाद की वजह से नहीं, बल्कि इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी हैं. पकौड़े हमें पोषण प्रदान करते हैं, हमारा मूड अच्छा करते हैं और हमारे पारिवारिक रिश्तों को मजबूत बनाते हैं.