Basant Panchami 2024 : भारत के इन मंदिरों में विराजती हैं स्वयं मां सरस्वती, बसंत पंचमी पर कर लें दर्शन
Basant Panchami 2024 : विद्या की देवी मां शारदे (सरस्वती) का पूजन बसंत पंचमी के दिन किया जाता है. इस दिन मां के दर्शन और पूजन से विद्या और बुद्धि मिलती है. भारत में कुछ ऐसे में मंदिर भी हैं, जो माता सरस्वती को समर्पित हैं. बसंत पंचमी पर आप यहां अपने परिवार के संग जा सकते हैं.
Basant Panchami 2024 : हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को बसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस दिन माता सरस्वती के पूजन का काफी अधिक महत्व होता है. मान्यता है कि इस दिन माता सरस्वती के पूजन से विद्या और बुद्धि का आशीर्वाद मिलता है. लोग मां को प्रसन्न करने के लिए अपने घरों में उनका पूजन करते हैं. वहीं, इस दिन मां के दर्शन से भी जीवन के हर क्षेत्र में सफलता मिलती है और मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
भारत में कई ऐसे मंदिर हैं, जो माता सरस्वती को समर्पित हैं. यहां पर आप देवी सरस्वती के दर्शन करके उनकी कृपा पा सकते हैं. मान्यता है कि यहां पर देवी सरस्वती स्वयं विराजमान रहती हैं. आइए जानते हैं ये मंदिर कहां स्थित हैं.
सावित्री देवी मंदिर पुष्कर
पुष्कर में मात सरस्वती के पिता सृष्टि के रचियता ब्रह्मा का मंदिर है. इसके साथ ही यहां विद्या की देवी माता सरस्वती का भी मंदिर बना हुए है. मान्यता है कि यहां पर मां के पूजन से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
मैहर माता
मध्यप्रदेश के मैहर में मां शारदे का मंदिर हैं. वहां मां स्वयं विराजमान हैं. यहां पर मां ने आल्हा-उदल को दर्शन दिए थे. यहां पर मां का पूजन विशेष रूप से फलदायी होता है.
श्रृंगेरी स्थित शरादाम्बे देवी मंदिर
कर्नाटक राज्य के चिकमंगलूर जिले में स्थित मां सरस्वती का यह मंदिर काफी फेमस है. यह श्रृंगेरी के शारदम्बा मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है. यहां पर देवी सरस्वती का पूजन प्रमुख रूप से किया जाता है.
पनाचिक्कड़ सरस्वती मंदिर केरल
केरल में स्थित पनाचिक्कड़ सरस्वती मंदिर को दक्षिण मूकम्बिका के नाम से जाना जाता है. इस मंदिर में स्थापित मां की प्रतिमा के पास हमेशा एक दीप प्रज्जवलित होता रहता है.
वारगल सरस्वती मंदिर
आंध्र प्रदेश के मेंढक जिले के वारगल में स्थित यह मंदिर देवी सरस्वती को समर्पित है. यहां पर आप बसंत पंचमी के दिन माता के दर्शन कर सकते हैं.
श्री ज्ञान मंदिर
आंध्र प्रदेश के अदिलाबाद जिले में इस मंदिर को बसरा नाम से जाना जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत के युद्ध के दौरान जब ऋषि व्यास शांति की तलाश में निकले थे तो वे इस दौरान गोदावरी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंच गए थे. यहां पर उन्होंने माता सरस्वती का पूजन किया था. उनकी पूजा से प्रसन्न होकर माता ने उन्हें दर्शन दिए थे. मां के आदेश पर ही वहां मंदिर बनाया गया था.