नई दिल्ली: महिला का शरीर काफी पड़ाव से होकर गुजरता है. उम्र के हर पड़ाव के साथ-साथ महिलाओं के शरीर में कई बदलाव होते हैं. इन बदलाव के कारण महिला का शरीर मेनोपॉज तक पहुंचता है, इस समय पीरियड साइकल बंद हो जाता है. मेनोपॉज फीमेल बायोलॉजिकल क्लॉक का मुख्य भाग्य है, जहां तक हर महिला को पहुंचना ही है. लेकिन कई ऐसे मामले भी देखे को मिल रहा है जहां समय से पहले ही महिलाओं को मेनोपॉज का सामना करना पड़ रहा है.
आमतौर पर महिलाओं में मेनोपॉज 40 से 55 साल के बीच होता है जब उनके पीरियड आने बंद हो जाते हैं, इसके साथ ही महिला में गर्भधारण और प्रजनन क्षमता भी खत्म हो जाती है. वहीं आजकल कई महिलाओ को समय से पहले ही इसका सामना करना पड़ा रहा है. इस विषय पर हेल्थ एक्सपर्ट ने बताया कि प्रीमैच्योर मेनोपॉज जिसके चलते उन्होंने इससे होने वाले दुष्प्रभाव और इससे बचाव के बारे में बताया.
प्रीमैच्योर मेनोपॉज की कोई फिक्स समय-सीमा नहीं होती है, लेकिन अगर 40 की उम्र में पहुंचने से पहले ही आपको पीरियड में दिक्कत हो रही हैं तो मतलब आप मोनोपॉज का सामना कर रहे हैं. वहीं 45 की उम्र से पहले पीरियड्स बंद होना प्रीमैच्योर मेनोपॉज कहलाता है.
वहीं, आजकल कई मामलों में प्रीमैच्योर मेनोपॉज इंड्यूस्ड मेनोपॉज के कारण होता है जिसमें किसी गंभीर बीमारी के कारण ओवरी या गर्भाशय को निकाल दिया जाता है.
इसके अलावा अत्यधिक धूम्रपान करना भी प्रीमैच्योर मेनोपॉज का कारण बनता है. इसलिए जो महिलाएं धूम्रपान करती हैं उनको इसका सामना करना पड़ता है.
प्रीमैच्योर मेनोपॉज के साइड इफेक्ट्स से बचने के लिए एक्सपर्ट का कहना है कि आप अपने खानपान के साथ जरूरी पोषण तत्वों पर ध्यान देना चाहिए.