1-3-5-7 Revision Strategy: प्रतियोगी परीक्षाओं या बोर्ड की परीक्षाओं की तैयारी में लगे छात्रों के दिमाग में एक प्रश्न हमेशा कौंधता रहता है कि आखिर टॉपर कैसे बना जाता है? या टॉपर्स आखिर टॉप आने के लिए क्या करते हैं? आज हम आपको इस प्रश्न का एक बेहद धांसू जवाब देने वाले हैं, जिसे अप्लाई करने के बाद आपका भी नाम टॉपर्स की लिस्ट में शुमार हो जाएगा.
दरअसल, टॉपर्स पढ़ाई के दौरान 1-3-5-7 का फॉर्मूला अपनाते हैं. यह फॉर्मूला इतना कारगर है कि देश-दुनिया की तमाम बड़ी कंपनियों के CEO भी कंपनी का सुचारू रूप से प्रबंधन करने के लिए 1-3-5-7 फॉर्मूले को ही अपनाते हैं.
आखिर क्या है ये फॉर्मूला...आइए जानते हैं....
'1' सर्वोच्च प्राथमिकता (TOP PRIORITY)
1-3-5-7 फॉर्मूले में 1 का मतलब होता है सर्वोच्च प्राथमिकता. यानी जब आप पढ़ाई या किसी परीक्षा की तैयारी करें या कोई भी अन्य जरूरी काम करें तो सबसे पहले यह सुनिश्चित करें कि उसमें सबसे जरूरी चीज क्या है और फिर सबसे पहले उसी की तैयारी करें.
'3' मध्यम प्राथमिकता (MEDIUM PRIORITY)
इसके बाद आती है कार्य की मध्य प्राथमिकता, यानी काम का वो प्रमुख हिस्सा जो आपकी तैयारी में संतुलन बनाने में काम आता है. उदाहरण के तौर पर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करते समय सबसे ज्यादा जरूरी विषय के बाद उस विषय का अध्ययन करें जो आपकी तैयारी में संतुलन बिठाने का काम करे.
'5' छोटे काम (SMALL TASKS)
1-3-5-7 फॉर्मूले में 5 का मतलब है पांच कम समय में पूरा होने वाले छोटे कार्य. इन्हें तेजी से संभालने से न केवल आपकी उपलब्धियां बढ़ती हैं बल्कि आपके अध्ययन सत्र के दौरान प्रोडक्टिवी की एक स्थिर लय भी बनी रहती है.
7 जल्दी होने वाले कार्य (QUICK TASKS)
और आखिर में आता है 7, जिसका मतलब है 7 ऐसे काम जिन्हें आप सबसे जल्दी सबसे तेजी के साथ कर सकें. नौकरी के स्तर पर बात करें तो जैसे ईमेल या फोन कॉल का जवाब देना. ये रेपिड फायर एक्टिविटीज आपकी दिनचर्या में गतिशीलता की भावना लाती हैं, उबाऊपन को रोकती हैं और आपकी दक्षता को बढ़ाती हैं.
शिक्षा के अलावा 1-3-5-7 फॉर्मूला केवल कार्य प्रबंधन के क्षेत्र में ही कारगर नहीं है. इस फॉर्मूले को नियमित तौर पर अपनाने से आपके मस्तिष्क की कार्य क्षमता में महत्वपूर्ण वृद्धि होती है.