आलू को सब्जियों का राजा कहा जाता है. अधिकतर आलू सभी को पसंद होता है. कई सब्जियों में आलू डाला जाता है. इससे कई प्रकार के चटपटे व्यंजन बनाए जाते हैं. फिलहाल आलू का सेवन सेहत के लिए नुकसानदायक नहीं होता है. वहीं, अगर इसका कलर बदल गया है तो यह आलू आपके खाने लायक नहीं रह गया है.
प्राकृतिक तौर पर आलू का रंग ब्राउन या फिर कुछ मटमैला होता है. इन प्राकृतिक रंगों के अलावा आपको आलू में ग्रीन, ब्लैक या बैंगनी रंग भी देखने को मिलता है. एक रिसर्च की मानें तो यह आलू के रंग बदलने का संकेत है. आलू में न्यूरोटॉक्सिन की मात्रा बढ़ जाती है. इस कारण हरे या काले रंगों के आलू का सेवन सेहत के लिए खराब होता है. हरे रंग का आलू स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होता है.
आलू को जब खोदकर बाहर निकाला जाता है तो अगर निकलने के बाद उसपर सूर्य की सीधी रोशनी पड़ती है तो आलू में सोलानिन का स्तर बढ़ जाता है. जिस कारण आलू हरा, काला या बैंगनी रंग का दिखने लगता है.
अगर आप हरे, काले या फिर बैंगनी रंग के आलू का सेवन करते हैं तो आपको इससे कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. आइए जानते हैं कि हरा आलू खाने से कौन सी बीमारियां हो सकती हैं.
अगर आप हरा आलू खा लेते हैं तो इससे पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. इससे सूजन, गैस और अपच जैसी कई समस्याएं हो जाती हैं.
हरे आलू में पाया जाने वाला सोलानिन आपके न्यूरोट्रांसमीटर्स को प्रभावित कर सकता है. इसके साथ ही इसको खाने से आपको चक्कर सिरदर्द और उल्टी आदि की समस्या हो सकती है. ऐसा आलू खाने से आपका मूड खराब हो सकता है और भी आपको कई समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है.
इस प्रकार के आलू को खाने से आपको उल्टी आने की समस्या भी हो सकती है. इस कारण आपको हरे आलू का सेवन करने से बचना चाहिए.
हरे आलू में सोलानिन के साथ में क्लोरोफिल की भी मात्रा अधिक होती है. इस कारण इसके सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का भी खतरा बढ़ जाता है.
हरे आलू में मौजूद सोलानिन को आंखों की रोशनी के प्रति संवदेनशीलता के लिए भी खराब माना जाता है. हरे आलू के सेवन के कारण व्यक्ति सूरज की रोशनी के संपर्क में आने से सनबर्न आदि के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाता है.