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पेपर कप का करते हैं इस्तेमाल तो कैंसर को दावत दे रहे हैं आप! IIT खड़गपुर के शोध में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

शोधकर्ताओं ने इसको लेकर कई प्रकार के पेपर कपों का अध्ययन किया और पाया कि वॉटरप्रूफ बनाने के लिए कई कपों पर प्लास्टिक लेयर की कोटिंग की जाती है. जैसे ही ये कप गर्म तरल के संपर्क में आते हैं तो इनसे प्लास्टिक लीक होने लगती है जिससे पेय पदार्थ में प्लास्टिक के सूक्ष्ण कण मिल जाते हैं.

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Edited By: India Daily Live
 Paper Cups
Courtesy: pexels

IIT Kharagpur Study On Paper Cups: प्लास्टिक के दुष्प्रभावों के मद्देनजर चाय, कॉफी, पानी पीने या खाना खाने के लिए पेपर से बने कप-प्लेट का इस्तेमाल तेजी से बढ़ रहा है. अगर आप भी इन पेपर कप का इस्तेमाल करते हैं तो यह खबर आपको चिंता में डाल सकती है. आईआईटी खड़गपुर की हालिया स्टडी में डिस्पोजेबल पेपर कप की सेफ्टी को लेकर चिंता व्यक्त की गई है. स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों को देखते हुए प्लास्टिक कपों पर बैन लगा दिया गया था, लेकिन आईआईटी खड़गपुर के ताजा अध्ययन के मुताबिक, प्लास्टिक कपों में गर्म पानी या कोई भी गर्म पेय पीने से स्वास्थ्य को जोखिम हो सकता है.

गर्म तरल के संपर्क में आने पर प्लास्टिक रिलीज करता है पेपर कप

दरअसल, इस अध्ययन का मकसद यह पता लगाना था कि क्या गर्म तरल (चाय, कॉफी) के संपर्क में आने से डिस्पोजेबल पेपर कप से प्लास्टिक लीक होता है? शोधकर्ताओं ने इसको लेकर कई प्रकार के पेपर कपों का अध्ययन किया और पाया कि वॉटरप्रूफ बनाने के लिए कई कपों पर प्लास्टिक लेयर की कोटिंग की जाती है. जैसे ही ये कप गर्म तरल के संपर्क में आते हैं तो इनसे प्लास्टिक लीक होने लगती है जिससे पेय पदार्थ में प्लास्टिक के सूक्ष्ण कण मिल जाते हैं.

15 मिनट के अंदर लीक होने लगती है प्लास्टिक
अध्ययन की प्रमुख प्रोफेसर सुधा गोयल ने बताया कि गर्म पेय पीने के महज 15 मिनट के अंदर पेपर कप में मौजूद माइक्रोप्लास्टिक परत खराब हो जाती है जिस कारण पेय पदार्थ में लगभग 25,000 माइक्रोन आकार के प्लास्टिक कण आ जाते हैं जिसके कारण गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं.

कैंसर को दावत दे रहे पेपर कप
अध्ययन में माइक्रोप्लास्टिक की विषाक्त प्रकृति पर प्रकाश डाला गया है जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बन सकता है, इम्यून सिस्टम को कमजोर बना सकता है और कैंसर के जोखिम को भी बढ़ा सकता है.

यह शोध इसलिए डराने वाला है क्योंकि हमने पेपर कप का इस्तेमाल प्लास्टिक कपों के विकल्प के तौर पर शुरू किया था ताकि हमारे शरीर और पर्यावरण को नुकसान न हो लेकिन अध्ययन के परिणाम बताते हैं कि कागज के ये कप उतने सुरक्षित नहीं हैं जितना की हमने सोचा था.