यूपी की टॉफी कैसे बनी अमेरिका की 'कैंडी', ये है पीछे की कहानी

दुनिया के कई देशों में भारतीय संस्कृति देखने को मिलती है. यही कारण है कि भारतीय व्यंजन को लोग खूब पंसद करते हैं.

Suraj Tiwari

Jaggery Became Candy: भारतीय सभ्यता और संस्कृति दुनिया के कई देशों में देखने को मिलती है. भारत के लोग जब भी किसी दुनिया के किसी अन्य देश में गए तो अपनी परंपरा से जुड़ी हुई चीजों को भी ले गए. इसी का परिणाम रहा कि लिट्टी-चोखा भारत के साथ ही दुनिया के देशों में पसंद किया जाता है. हालांकि अन्य देशों के भी कल्चर भारत में आए. इसी कड़ी में हर चौराहे पर नूडल्स/चाऊमीन की दुकान देखी जाती है. इसी मामले में इटली और पिज्जा भी लोगों द्वारा खूब पसंद किया जाता है.

इस तरह बनता है कैंडी

गन्ना से गुण बनाने के क्रम में निकलने वाला खांड जब भारत से सेंट्रल एशिया और अफगानिस्तान तक पहुंचा तो बोलचाल की भाषा में खांड को कंद कहा जाने लगा. जिससे क्रमश: ताशकंद, गुलकंद और गुलकंद पान बनके फिर से भारत लौटा. यही खांड जब यूरोप और अमेरिका NicDelivery पहुंचा तो कंद से कैंडी हो गया और फिर भारत आई. तब से लेकर ये भारत के हर उम्र के लोगों की पसंद बना हुआ है.

भारत में ऐसे पहुंची मिश्री

इसी तरह भारत में मिश्री अरब देश के इजिप्ट यानी मिस्र आया. बताया जाता है कि वहां के लोग चीनी के घोल बनाकर मिट्टी के बड़े गिलास में धागा लगाकर उसको क्रिस्टल आने तक उसको छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ दिया. जिसके माउथ फ्रेशनर के तौर पर प्रयोग किया जाने लगा. यहीं जब भारत लौटी तो इसका नाम मिश्री कहा जाने लगा. वहीं भारत में पूजा पाठ के समय प्रयोग किया जाने वाला नारियल भी अपने देश की पैदावार नहीं है. ये भारत साउथ अमेरिका से आया था.