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India Daily

1976 में जन्मा 'खूनी वायरस' अब ले रहा है लोगों की जान, चपेट में आने पर मौत की 50% गारंटी!

सुडान वायरस, जो कि एक वायरल हेमोरेजिक बुखार (Viral Hemorrhagic Fever) है, इबोला वायरस के समान परिवार से आता है. यह वायरस 1976 में पहले साउथ सूडान में पाया गया था और अब तक इसके कई प्रकोप सामने आ चुके हैं.

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Edited By: Gyanendra Tiwari
Sudan bleeding Virus Disease kill rate fifty percent WHO confirmed one death know Symptoms
Courtesy: Social Media

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक खतरनाक और रहस्यमय "अस्पष्टीकृत रक्तस्राव" वायरस के बारे में चेतावनी जारी की है, जो 50% की मृत्यु दर के साथ तेजी से फैल रहा है. यह वायरस सुडान वायरस (SVD) के नाम से जाना जाता है और इसके लक्षण इबोला वायरस से मिलते-जुलते होते हैं. यह खतरनाक वायरस जून 1976 में दक्षिणी सूडान में पाया गया था.

WHO ने पुष्टि की है कि 32 वर्षीय एक पुरुष नर्स की सुडान वायरस से मौत हो गई है. इस वायरस ने पहले ही अस्पताल में काम करने वाले उसके सहकर्मियों और परिवार के सदस्यों के बीच संक्रमण फैलाया है. अब तक 9 मामलों की पुष्टि हो चुकी है. इस वायरस के लिए कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है, और यह वायरस 1976 में अपनी पहचान के बाद से नौवीं बार फैल रहा है.

इबोला वायरस जैसे लक्षण

सुडान वायरस के लक्षण इबोला वायरस से बहुत मिलते-जुलते हैं. इसकी शुरुआत आमतौर पर बुखार, पेट दर्द, थकान और मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षणों से होती है. इसके बाद मिचली, उल्टी, दस्त और कभी-कभी चकत्ते भी दिखाई दे सकते हैं. गंभीर मामलों में रक्तस्राव, अंगों का विफल होना, और शॉक जैसी समस्याएँ हो सकती हैं.

संक्रमण कैसे फैलता है?

सुडान वायरस का संक्रमण मुख्य रूप से व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क के माध्यम से फैलता है. यह संक्रमित व्यक्ति के रक्त, शरीर के अन्य तरल पदार्थों या संदूषित सतहों और सामग्री के संपर्क में आने से फैलता है. संक्रमण की संभावना तब अधिक होती है जब व्यक्ति के लक्षण गंभीर होते हैं.

इलाज और वैक्सीनेशन

इस समय सुडान वायरस के लिए कोई मान्यता प्राप्त इलाज या वैक्सीन उपलब्ध नहीं है. हालांकि, प्रारंभिक उपचार से रोगी की स्थिति में सुधार हो सकता है. वायरस के खिलाफ कुछ संभावित उपचारों की कोशिश की जा रही है, जैसे वैक्सीन्स और मोनोक्लोनल एंटीबॉडी दवाइयां, जो वायरस के पुनरुत्पादन को रोकने के लिए एंटीबॉडी पैदा करती हैं.

WHO और CDC का रुख

WHO और अमेरिकी रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) दोनों ही इस वायरस के फैलने से चिंतित हैं. CDC ने इस वायरस और अफ्रीका में इसके मामलों के बारे में जागरूकता फैलाने का निर्णय लिया है. हालांकि, अब तक कोई इबोला के मामले अफ्रीका के बाहर नहीं पाए गए हैं.