सांपों का जहर निकालना एक खतरनाक और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया है, जो विशेषज्ञता और सावधानी की मांग करती है. यह प्रक्रिया आमतौर पर वेनोम मिल्किंग (Venom milking) के नाम से जानी जाती है, जिसमें सांपों के जहर को उनकी दंतों के जरिए एक कंटेनर में निकाला जाता है.
जहर का प्रयोग वैज्ञानिक अनुसंधान, चिकित्सा उपचार, और एंटीवेनम (antivenom) निर्माण में किया जाता है.
सांपों के जहर को निकालने के लिए सबसे पहले उन्हें सुरक्षित तरीके से पकड़ा जाता है. इसके बाद, एक अनुभवी व्यक्ति सांप के सिर को पकड़कर उसकी दांतों के जरिए जहर निकालता है. यह प्रक्रिया बहुत ही सावधानी से की जाती है, क्योंकि किसी भी गलती से व्यक्ति घायल हो सकता है. सांप का जहर उसके दांतों में दबा होता है, और इन्हें दबाकर जहर एक छोटे कंटेनर में इकट्ठा किया जाता है. जहर निकालने के बाद, इसे तत्काल प्रयोग में लाने के लिए या फिर शोध के लिए संग्रहित किया जाता है.
सांपों का जहर निकालने में अत्यधिक खतरा होता है, क्योंकि सांप कभी भी हमला कर सकते हैं. एक ही गलत कदम से व्यक्ति की जान जा सकती है. इसलिए, इस काम में विशेष प्रशिक्षण और अत्यधिक सावधानी की आवश्यकता होती है. विशेषज्ञ सांपों के व्यवहार और उनके जहर के प्रकार को अच्छी तरह से समझते हैं और इसी आधार पर जहर निकालते हैं. कभी-कभी, जहर निकालने वाले लोग खतरे को टालने के लिए सांप को शांत करने के उपायों का इस्तेमाल करते हैं, जैसे कि सांप को ढंककर या उसे कंट्रोल करके जहर निकालना.
सांपों के जहर का उपयोग चिकित्सा और वैज्ञानिक अनुसंधान में किया जाता है. जहर में विभिन्न प्रकार के रासायनिक तत्व होते हैं, जो विभिन्न बीमारियों के इलाज के लिए मददगार साबित हो सकते हैं. खासकर, एंटीवेनम तैयार करने के लिए सांप के जहर की आवश्यकता होती है, जिससे जहर के असर को काबू किया जा सकता है. इसके अलावा, कुछ शोध कार्यों में भी सांपों के जहर का उपयोग किया जाता है, ताकि नए इलाज के तरीके विकसित किए जा सकें.
हालांकि सांपों के जहर को निकालने का काम खतरनाक है, लेकिन यह विज्ञान और चिकित्सा के क्षेत्र में अहम भूमिका निभाता है. इसके बावजूद, इस कार्य में लगे लोग अपनी जान जोखिम में डालते हैं और इस साहसिक कार्य के लिए उन्हें विशेष सम्मान दिया जाता है.