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भूखे रहने और व्रत करने से कम हो जाता है कैंसर का खतरा? समझिए क्या कहती है स्टडी

एक हालिया अध्ययन में पाया गया है कि भूखे रहने या फिर व्रत करने से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी होने का खतरा कम हो जाता है. मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा यह स्टडी की गई है. उपवास नेचुरल किलर एनके सेल्स के काम को बढ़ाता है, ये इम्यून सिस्टम का महत्वपूर्ण घटक है जो कैंसर सेल्स पर हमला करने के लिए काम करता है. हालांकि ये अध्ययन चूहा पर किया गया है.

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Edited By: India Daily Live
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Courtesy: Social Media

कैंसर एक ऐसी बीमारी है जिसका इलाज आज भी असंभव ही माना जाता है. कोई ना कोई आज भी इस खतरनाक बीमारी का सामना कर रहा है. अगर समय पर इसका इलाज हो तो मरीज के बचने की संभावना थोड़ी बढ़ जाती है और अगर लास्ट फेज तक भी इस बीमारी का पता न चले तो मरीज के जान को खतरा रहता है. बढ़ती महंगाई के दौर में इसका इलाज करा पाना भी किसी से संभव नहीं हो पाता है. चुकी उसकी थेरेपी इतनी महंगी होती है कि अच्छे-अच्छों की हालत खराब हो जाती है. ऐसे में इससे निपटने को लेकर हालिया शोध में कई सारी संभावित रणनीतियों को देखा जा रहा है, इसमें एक तरीका है उपवास.

मेमोरियल स्लोन केटरिंग कैंसर सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि उपवास कैंसर कोशिकाओं को प्रभावित करता है जिससे इस बीमारी के पनपने का चांस कम रहता है. शोधकर्ताओं ने चूहों पर शोध करके ये जानकारी जुटाई है कि अगर कोई व्यक्ति उपवास रखता है तो उसमें कैंसर की संभावना कम या यूं करें तो उन कोशिकाओं से लड़ने की क्षमता ज्यादा बढ़ जाती है जो कैंसर जैसी बीमारी को पनपने देता है. उपवास नेचुरल किलर एनके सेल्स के काम को बढ़ाता है, ये इम्यून सिस्टम के महत्वपूर्ण घटक हैं जो कैंसर सेल्स पर हमला करने के लिए काम करता है.

ऐसे कम हो जाता है कैंसर का खतरा?

स्टडी से पता चलता है कि भूखे पेट रहने से एनके सेल्स को एनर्जी के लिए शुगर के बजाय फैट पर निर्भर करने के लिए रि प्रोग्राम करता है. इस मेटाबॉलिक शिफ्ट से उन्हें कैंसर सेल्स को टारगेट करने और खत्म करने की प्रभावी क्षमता मिलती है. उपवास के कारण एनके सेल्स ट्यूमर के वातावरण में भी पनप सकती है और जिससे कैंसर से लड़ने की क्षमताओं में सुधार आता है.

उपवास में कैंसर की रोकथाम क्षमता

इस नई स्टडी में पाया गया है कि उपवास में कैंसर की रोकथाम क्षमता ज्यादा होती है. साल 2016 में भी चूहों पर एक अध्ययन किया गया था. जिसमें कीमोथेरेपी एडमिनिस्ट्रेशन से पहले शॉर्ट-टर्म फास्टिंग टॉक्सिसिटी को कम कर सकती है.

'यह बात इंसुलिन के स्तर और सेलुलर'

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉक्टरों का मानना है कि उपवास कैंसर के खतरे को कम करने में सही है कि नहीं, यह बात इंसुलिन के स्तर और सेलुलर प्रक्रियाओं पर इसके संभावित प्रभाव से आती है. हाई इन्सुलिन लेवल को कैंसर सेल्स की बढ़ोतरी को बढ़ावा देने से जोड़ा गया है. उपवास इंसुलिन के स्तर को कम करके, कैंसर सेल्स को पनपने के लिए अनुकूल वातावरण बना सकता है. इसके अलावा, उपवास उन प्रक्रियाओं को एक्टिव कर सकता है जो प्री-कैंसर सेल्स को बढ़ने पहले ही हटा सकती है.

समझिए क्या कहती है स्टडी

माना जाता है कि उपवास करने से शरीर में प्राकृतिक एंटीऑक्सीडेंट बढ़ता है जो कोशिकाओं को कैंसर का कारण बनने वाले से बचाता है लेकिन हर किसी मरीज की शारीरिक परिस्थितियों पर विचार करना महत्वपूर्ण है. क्योंकि यह रिसर्च चूहों पर हुई है. जब तक यह स्टडी मानव शरीर पर नहीं हो जाती तब तक उपवास वाले रिसर्च पर कुछ भी बोलना असंभव है.