Ramadan 2024: इस्लाम धर्म का सबसे पाक महीना कहे जाना वाला रमजान की शुरुआत हो चुकी है. 12 मार्च से मुसलमानों का पवित्र महीना शुरू हो चुका है. इस महीने की शुरुआत चांद का मुखड़ा देखने के बाद होती है. रमजान के पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं. रोजा रखने के दौरान मुसलमानों को विशेष ध्यान रखना होता है. इस महीने उन्हें कई नियम व कायदों को मानना पड़ता है. मुसलमानों के अलावा दूसरे धर्म से ताल्लुक रखने वाले लोग क्या रोजा रख सकते है? इसी सवाल का जवाब आज हम आपको इस लेख में जवाब देंगे.
इस महीने में लगभग सभी मुसलमान रोज रखते हैं लेकिन अन्य धर्म के लोग बहुत कम ही रोजा रखते हैं. वैसे रोजा रखना इस्लाम धर्म का हिस्सा किसी और धर्म का नहीं. फिर अगर कोई दूसरे धर्म का व्यक्ति अगर रोजा रखना चाहे तो रख सकता है. आइए जानते हैं कि कैसे दूसरे धर्म का इंसान रोजा रख सकता है. माना जाता है कि रोजा रखने से रोजा रखने से इंसान की सभी दुआएं कुबूल होती हैं.
इस्लाम धर्म के अलावा अन्य धर्म के लोग भी रोजा रख सकते हैं. अगर कोई दूसरे धर्म का इंसान रोजा रखना चाहता है तो उसे रोजा रखने के नियम व कायदों का पालन करना पड़ता है. जैसे किस समय खाना है और किस समय नहीं. रोजा के दौरान साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखना होता है.
इस्लाम धर्म की धार्मिक किताब कुरान ए करीम में 5 स्तंभ कलमा (Kalma), नमाज (Namaz), रोजा (Roza), जकात (Zakat) और हज (Hajj) है. इन स्तंभों में नियम, कायदे व कानून लिखे हैं कि इस्लाम धर्म क्या कहता है. इन्हीं स्तंभों का हर एक मुसलमान पालन करता है.