चीन के चेंगदू शहर के एक शख्स, यांग शियुई, जिन्होंने पिछले 20 सालों में 313 बार ब्लड डोनेट किया, अब एक गंभीर परिस्थिति से गुजर रहे हैं. हाल ही में उन्हें स्ट्रोक आया, और अब उनका इलाज जारी रखने के लिए वे आर्थिक मदद की गुहार लगा रहे हैं. यांग को 'ब्लड डोनेशन किंग' के नाम से भी जाना जाता है, लेकिन अब वह अपनी जान बचाने के लिए दूसरों की सहायता की आवश्यकता महसूस कर रहे हैं.
स्ट्रोक के कारण
यांग शियुई ने जनवरी के अंत में अचानक तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल का रुख किया. उनकी पत्नी, श्ये सुहुआ ने उन्हें अस्पताल ले जाकर डॉक्टर से चेकअप कराया, जहाँ उन्हें 'सिरब्रल इन्फार्क्शन' यानी स्ट्रोक का निदान हुआ. डॉक्टरों ने बताया कि उनके मस्तिष्क के कुछ हिस्सों में खून की आपूर्ति रुकने से यह स्ट्रोक हुआ. डॉक्टर ने यह भी कहा कि उन्हें 10 से 14 दिनों तक अस्पताल में रहकर इलाज की आवश्यकता होगी.
आर्थिक संकट और मदद की गुहार
यांग की पत्नी श्ये सुहुआ ने बताया कि उनका परिवार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर है. यांग एक सफाईकर्मी के रूप में काम करते हैं, जबकि श्ये को स्थिर रोजगार नहीं है. उनका मासिक आय मात्र 3,000 युआन (करीब 410 डॉलर) है, और उनके पास इलाज के लिए पर्याप्त पैसे नहीं हैं. इलाज का खर्च दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है, और सिर्फ एक सप्ताह में ही बिल 10,000 युआन तक पहुंच गया है.
श्ये ने बताया कि वह अपने पति की चिकित्सा का खर्च उठाने के लिए परिवार के सदस्यों से भी मदद ले रहे हैं. उनके 90 साल की उम्र की मां उनकी किराए की सहायता करती हैं. हालांकि, यह राशि इलाज के लिए पर्याप्त नहीं है, इसलिए वे अब क्राउडफंडिंग (जनसहायता) के जरिए मदद मांगने का विचार कर रहे हैं.
यांग की 313 रक्तदान की कहानी
यांग शियुई ने पिछले 20 सालों में 313 बार रक्तदान किया है. वह एक प्रकार से 'ब्लड डोनेशन किंग' के रूप में जाने जाते थे, और उनके इस योगदान से कई लोगों की जिंदगियां बची हैं. उनका उद्देश्य हमेशा दूसरों की मदद करना और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाना था. अब जब उन्हें मदद की आवश्यकता है, तो वह उन लोगों से मदद की उम्मीद कर रहे हैं, जिनकी उन्होंने पहले मदद की थी.
यांग की स्थिति ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि रक्तदान करने वाले ही कभी-कभी सबसे ज्यादा जरूरतमंद हो सकते हैं. उनकी मदद करने के लिए लोग क्राउडफंडिंग जैसे माध्यमों से योगदान दे सकते हैं, ताकि वह जल्द ही स्वस्थ हो सकें और अपनी जिंदगी फिर से सामान्य रूप से जी सकें.