Peepal Tree Healths Benefits: प्रकृति के सबसे प्राचीन और स्वास्थ्य वर्धक वरदान 'पीपल के पेड़' की कहानी किसी राज से कम नहीं है. जालोर की धरती पर खड़ा यह पेड़ न ही सिर्फ छाया देता है बल्कि दिन-रात ऑक्सीजन भी देता है. बता दें की यह सिर्फ मान्यता नहीं बल्कि वैज्ञानिकों ने भी इस बात पर मूहर लगाई है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक हर साल जालोर की एक नर्सरी में सैकड़ों पीपल के पौधे तैयार किए जाते हैं, जिन्हें जालोर समेत वहा के कई आसपास के इलाकों में लगाया जा रहा है. इतना ही नहीं कहा जाता है की ये पेड़ न सिर्फ ऑक्सीजन देते हैं, बल्कि प्राचीन भारतीय आयुर्वेद में भी इनका अपना एक खास स्थान है.
यहां के लोगों का कहना है की आयुर्वेद और पीपल का एक पुराना रिश्ता है. इस पेड़ के पत्ते, छाल और जड़, हजारों सालों से भारतीय चिकित्सा का हिस्सा रही हैं. चाहे वह डायबिटीज हो, अस्थमा हो या फिर पाचन की समस्याएं, पीपल का पेड़ हर बीमारी का रामबाण है.
जालोर के लोग इसे सिर्फ एक वृक्ष नहीं बल्कि 'जीवित देवता' भी मानते हैं. बता दें की इस जगह के आस पास के मंदिरों में पीपल के पेड़ की पूजा की जाती है और कहा जाता है कि इसके नीचे ध्यान करने से मन को शांति मिलती है. इसके साथ ही मान्यता है की भगवान बुद्ध को इसी वृक्ष के नीचे ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और इसी कारण इसे भगवान विष्णु का रूप भी माना जाता है.
जालोर के लोगों का कहना है कि पीपल का वृक्ष कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित कर प्रदूषण को कम करने में भी मदद करता है और गर्मियों में छाया प्रदान कर शहर के तापमान को कंट्रोल करता है. जालोर जैसे क्षेत्र में जहां गर्मी अपने चरम पर होती है, वहां यह वृक्ष प्राकृतिक एयर कंडीशनर का काम करता है.