National Vaccination Day 2025: आज ही के दिन भारत ने शुरू की थी पोलियों के खात्मे की कहानी, जानें राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का इतिहास
टीकाकरण शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है ताकि बाद में होने वाले इंफेक्शन या बीमारी से बचा जा सके और इसे कोशिकाओं को और बढ़ने या बाधित करने से रोका जा सके. हालांकि, समाज का एक बड़ा हिस्सा अभी भी टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूक नहीं है.
National Vaccination Day 2025: टीकाकरण शरीर में किसी भी बीमारी के खिलाफ लड़ने की क्षमता पैदा करता है. यह शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ावा देता है ताकि बाद में होने वाले इंफेक्शन या बीमारी से बचा जा सके और इसे कोशिकाओं को और बढ़ने या बाधित करने से रोका जा सके. हालांकि, समाज का एक बड़ा हिस्सा अभी भी टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूक नहीं है. इसलिए, लोगों को जागरूक करने के लिए, भारत सरकार 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाती है.
यह दिन भारत में पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम के सफल शुरुआत के तौर पर हर साल मनाया जाता है. 1995 में इसी दिन भारत में मौखिक पोलियो टीकाकरण की पहली खुराक दी गई थी. औरतब से, यह दिन सरकार के पल्स पोलियो कार्यक्रम के सम्मान में मनाया जाता है, जिसने देश से पोलियो को खत्म करने में कामयाबी हासिल की. बता दें कि 27 मार्च 2014 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया था.
राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का महत्व
फ्रंटलाइन हेल्थकेयर वर्कर्स की कड़ी मेहनत को स्वीकार करने और उनकी सराहना करने और हर बच्चे का टीकाकरण करने के लिए, हर साल 16 मार्च को राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस के रूप में मनाया जाता है. इसका मकसद लोगों को टीबी, चिकन पॉक्स, फ्लू, इन्फ्लूएंजा, एचपीवी जैसी वैक्सीन से रोके जा सकने वाली बीमारियों से बचाना है. इसके अलावा, राष्ट्रीय टीकाकरण दिवस का उद्देश्य अलग अलग टीकों के बारे में गलत धारणाओं को दूर करना है, टीकाकरण से रोके जा सकने वाली बीमारियों को जड़ से खत्म करने के लिए सरकार की पहल को मजबूत करना है, सरकारी योजनाओं और टीकों के महत्व के बारे में समाज में जागरूकता बढ़ाना और समय पर टीकाकरण करवाने के लिए बढ़ावा देना है.
भारत में टीकाकरण कार्यक्रम
जब एक बार टीका लग जाता है, तो टीकाकरण कार्यक्रम का पालन करना जरुरी हो जाता है. इससे बच्चों के लिए किफायती तरीके से बचाव के उपाय करने में मदद मिलती है. टीके शिशुओं, बच्चों और वयस्कों के लिए शरीर की सेवन क्षमता के मुताबिक डिजाइन किए गए हैं.अलग अलग तरह के टीकों के लिए निश्चित समय-सीमा और खुराक की संख्या बताई गई है, जो बीमारियों के खिलाफ सुरक्षा कवच सुनिश्चित करती है. इसके अलावा, टीकों को कई विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों के मुताबिक भी तैयार किया जाता है.
उदाहरण के लिए, आधिकारिक राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अनुसार, कुछ महीने या हफ्ते बड़े बच्चों के लिए, इन खुराकों के अनुसार निम्नलिखित टीके लगाए जाते हैं:
- विटामिन ए: 9 महीने में 1 मिली खुराक, खसरा और रूबेला के टीके के साथ.
- डीपीटी बूस्टर: 1: 0.5 मिली खुराक जब बच्चा 16-24 महीने का हो.
- खसरा/एमआर दूसरी खुराक: 0.5 मिली खुराक जब बच्चा 16-24 महीने का हो जाए.
- बीसीजी, हेप बी1, ओपीवी: जन्म के समय, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह, 6 महीने और 7 महीने.
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