Miyawaki Method: पेड़-पौधे हमारे जीवन के लिए कितने जरूरी है इस बात की जानकारी सभी को है. ऐसे में कई लोग पेड़ लगाने की सलाह देते है. इसके अलावा पेड़ लगाने के लिए कैंपेन भी शुरू किए जाते हैं. यहां तक की लोग Miyawaki तकनीक की मदद से मिनी जंगल भी बनाते हैं. हाल ही में छत्तीसगढ़ के रायपुर शहर के एक सामाजिक समूह ने मियावाकी तकनीक के इस्तेमाल से मिनी जंगल बनाया है. इसमें अलग-अलग तरह के देसी पौधों के साथ घना जंगल बनाते हैं.
जापान की बॉटनिस्ट अकीरा मियावाकी ने देसी पौधों के साथ घने जंगल बनाने के लिए मियावाकी तकनीक का समर्थन किया था. इस शानदार तरीके के उपयोग से दुनिया भर में कहीं भी खाली जगह में जंगल बनाया जा सकता है. यह urban afforestation के लिए बेहद लाभकारी है.
#WATCH | Raipur, Chhattisgarh: A social group has created a 'Mini forest' using the Miyawaki concept, in which a dense forest is created with a variety of native plants. This provides 30% more oxygen and also works as an air purifier. pic.twitter.com/FwPv2mya6s
— ANI (@ANI) June 13, 2024
मियावाकी वनीकरण विधि के लिए काफी छोटी जगह की आवश्यकता होती है, कम से कम 20 वर्ग फुट. जगह बचाने के लिए पौधों के बीज को बहुत करीब से बोना चाहिए. इससे छोटे पेड़ों को एक-दूसरे की रक्षा करने और सूरज की रोशनी को जंगल की जमीन पर गिरने से रोकने में मदद मिलेगी. इस प्रक्रिया से पौधों का विकास 10 गुना तेजी से होना चाहिए और वनस्पति सामान्य से 30 गुना अधिक घनी होनी चाहिए. मियावाकी तकनीक के अनुसार, किसी को ऐसे जंगल को कम से कम 3 सालों तक बनाए रखना चाहिए.
#WATCH | Raipur, Chhattisgarh: Paramjit, who has worked in creating 'mini forest', explains what the Miyawaki concept is and its benefits pic.twitter.com/Y108mkrgOT
— ANI (@ANI) June 13, 2024
सरकार ने लिए यह फैसला
भारत ने पेड़-पौधे को 25 से 33 प्रतिशत तक बढ़ाने के लिए पेरिस समझौते के तहत मियावाकी परियोजनाओं को अपनाने का संकल्प लिया है. उसके बाद, तेलंगाना सरकार ने राज्य की वनस्पति को बढ़ाने के लिए इस जापानी मियावाकी तकनीक की शुरुआत की. इसके बाज राज्य और केंद्र सरकार द्वारा जंगल की कटाई को कम करने और देश में हरियाली बढ़ाने के लिए कई पहल की गई. मियावाकी भारत में हाल ही में अपनाई गई ऐसी ही एक शानदार तकनीक है